ना स्वर है ना सरगम है, ना लय ना तराना है
हनुमान के चरणों में, एक फूल चढ़ाना है ।। टेर।।
हनुमान के चरणों में, एक फूल चढ़ाना है ।। टेर।।
तुम बाल रूप में प्रभु, सूरज को निगल डाले
अभिमानी सुरपति के, सब दर्प मसल डाले
बजरंग हुए तब से, संसार ये जाना है ।। हनुमान ।।
अभिमानी सुरपति के, सब दर्प मसल डाले
बजरंग हुए तब से, संसार ये जाना है ।। हनुमान ।।
सब दुर्ग ढहा करके, लंका को जलाये तुम
सीता की खबर लाये, लक्ष्मण को बचाये तुम
प्रिय भरत सरिस तुम को, श्रीराम ने माना है ।। हनुमान ।।
सीता की खबर लाये, लक्ष्मण को बचाये तुम
प्रिय भरत सरिस तुम को, श्रीराम ने माना है ।। हनुमान ।।
जब राम नाम तुम ने, पाया ना नगीने में
तुम फाड़ दिये सीना, सीया राम थे सीने में
विस्मित जग ने देखा, कपि राम दीवाना है ।। हनुमान ।।
तुम फाड़ दिये सीना, सीया राम थे सीने में
विस्मित जग ने देखा, कपि राम दीवाना है ।। हनुमान ।।
हे अजर अमर स्वामी, तुम हो अन्तर्यामी
ये दीन हीन चंचल अभिमानी अज्ञानी
तुम ने जो नजर फेरी, फिर कौन ठिकाना है ।। हनुमान ।।
ये दीन हीन चंचल अभिमानी अज्ञानी
तुम ने जो नजर फेरी, फिर कौन ठिकाना है ।। हनुमान ।।
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