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Showing posts from December 11, 2014

नींबू के ज्योतिषीय उपाय, मान्यता है इनसे दूर होता है बुरा समय

  ये बात तो सभी जानते हैं कि नींबू स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है, लेकिन नींबू का उपयोग कुछ ज्योतिषीय उपायों में भी किया जाता है। नींबू के ये उपाय काफी पुराने समय से ही किए जाते रहे हैं। यहां जानिए नींबू के कुछ ऐसे ही परंपरागत ज्योतिषीय उपाय, इनके संबंध में मान्यता है कि इनसे कार्यों में सफलता मिलती है और बुरा समय दूर होता है...   हनुमानजी के सामने करें ये उपाय   अगर आपको कड़ी मेहनत के बाद भी किसी महत्वपूर्ण कार्य में सफलता नहीं मिल पा रही है तो किसी हनुमान मंदिर जाएं और अपने साथ एक नींबू और 4 लौंग लेकर जाएं। इसके बाद मंदिर में पहुंचकर नींबू के ऊपर चारों लौंग लगा दें। फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें या हनुमानजी के मंत्रों का जप करें। इसके बाद हनुमानजी से सफलता दिलवाने की प्रार्थना करें। प्रार्थना के बाद इस नींबू को अपने पास रख लें और इसे साथ लेकर कार्य करें। मेहनत के साथ ही कार्य में सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ सकती है। व्यापार में लाभ के लिए उपाय   यदि किसी व्यक्ति का व्यापार ठीक से नहीं चल रहा है तो उसे शनिवार के दिन नींबू का ये एक उपाय करना चाहि...

हनुमानजी के उड़ते ही जल गया था अर्जुन का रथ, जानिए क्यों हुआ ऐसा

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 14 दिसंबर, रविवार को है। इस अवसर पर हम आपको बता रहे हैं हनुमानजी से जुड़ी कुछ रोचक बातें। महाभारत के अनुसार युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ पर स्वयं हनुमानजी विराजित थे और युद्ध समाप्ति के बाद वे अंतर्धान हो गए। ये पूरा प्रसंग इस प्रकार है-     - युद्ध समाप्ति के बाद भीम व दुर्योधन का युद्ध हुआ। भीम ने युद्ध के नियमों का उल्लंघन कर दुर्योधन को पराजित कर दिया। दुर्योधन को मरणासन्न अवस्था में छोड़कर पांडव कौरवों के शिविर में आए। तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन ने कहा कि सर्वप्रथम तुम अपने गांडीव धनुष और अक्षय तरकस को लेकर रथ से उतर जाओ। अर्जुन ने ऐसा ही किया। इसके बाद स्वयं श्रीकृष्ण भी रथ से उतर गए।    - श्रीकृष्ण के उतरते ही अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमानजी भी उड़ गए। तभी देखते ही देखते अर्जुन का रथ जल कर राख हो गया। यह देख अर्जुन ने श्रीकृष्ण से इसका कारण पूछा? तब श्रीकृष्ण ने बताया कि ये रथ तो दिव्यास्त्रों के वार से पहले ही जल चुका था, सिर्फ मेरे बैठे रहने के कारण ही अब तक यह भस्म नह...