मंदिर से जूते-चप्पल चोरी होना आम बात है। इस चोरी को रोकने के लिए सभी बड़े मंदिरों में जूते-चप्पल रखने के लिए अलग से सुरक्षित व्यवस्था की जाती है। इस व्यवस्था के बावजूद भी कई बार लोगों के जूते-चप्पल चोरी हो जाते हैं। किसी भी प्रकार की चोरी को अशुभ माना जाता है, लेकिन पुरानी मान्यता है कि जूते-चप्पल चोरी होना शुभ है।
यदि शनिवार के दिन ऐसा होता है तो इससे शनि के दोषों में राहत मिलती है। काफी लोग जो पुरानी मान्यताओं को जानते हैं, वे अपनी इच्छा से ही दान के रूप में मंदिरों के बाहर जूते-चप्पल छोड़ आते हैं। इससे पुण्य बढ़ता है।
पैरों में होता है शनि का वास
ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर और कठोर ग्रह माना गया है। शनि जब किसी व्यक्ति को विपरीत फल देता है तो उससे कड़ी मेहनत करवाता है और नाम मात्र का प्रतिफल प्रदान करता है। जिन लोगों की राशि पर साढ़ेसाती या ढय्या चली रही होती है या कुंडली में शनि शुभ स्थान पर न हो तो उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हमारे शरीर के सभी अंग ग्रहों से प्रभावित होते हैं। त्वचा (चमड़ी) और पैरों में शनि का वास माना गया है। पैर और त्वचा से संबंधित चीजें शनि के निमित्त दान की जाए तो कई शुभ फल प्राप्त होते हैं। साथ ही, पैर तथा त्वचा से संबंधित बीमारियों में भी लाभ प्राप्त हो सकता है।
शनिवार का कारक है शनि
शनिवार का कारक ग्रह शनि है और इस वजह से इस दिन जूते-चप्पल चोरी होने पर शनि के अशुभ प्रभावों में राहत मिलती है। यह बहुत पुरानी मान्यता है।
बार-बार जूते-चप्पल टूटते हैं तो...
क्या आपके साथ यह समस्या होती है कि जूते-चप्पल काफी कम समय में ही टूट जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार बार-बार जूते-चप्पल चोरी होना या खो जाना भी शनि के अशुभ होने का संकेत है।
- शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त हो जाएं, इसके बाद पूरे शरीर पर तेल लगाएं। अच्छे से तेल की मालिश करें। नहाने के पानी में थोड़े से काले तिल डाल लें। इसके बाद इस पानी से स्नान करें। स्नान के बाद तेल का दान करें। ऐसी मान्यता है कि इस उपाय शनि के दोष शांत होते हैं। काले तिल और तेल, शनि की वस्तुएं मानी गई हैं।
- जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती और ढय्या चल रही है, वे लोग यदि हर शनिवार पीपल की सात परिक्रमा करेंगे और जल अर्पित करेंगे तो शनि के दोषों से मुक्ति मिल सकती है। यह उपाय हर शनिवार को करते रहना चाहिए।
- शनिवार को सुबह स्नान के बाद एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखें। फिर यह तेल शनिदेव के निमित्त किसी ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। यह उपाय भी शनि के दोषों को दूर करता है।
हनुमानजी की पूजा करें
शास्त्रों के अनुसार शनि उन लोगों को परेशान नहीं करते हैं जो हनुमानजी के भक्त हैं। अत: हर मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी के निमित्त विशेष पूजन किया जाना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
हनुमान की पूजा से शनि क्यों होते हैं प्रसन्न
ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में शनि को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और वे हनुमानजी से युद्ध करने पहुंच गए थे। उस समय हनुमानजी के समझाने पर भी शनि युद्ध के लिए ललकारने रहे थे। तब हनुमानजी भी युद्ध के लिए तैयार हो गए और शनि को बुरी तरह परास्त कर दिया। युद्ध में हनुमानजी ने शनि पर कई प्रहार किए थे, इस कारण उनके शरीर में पीड़ा होने लगी। इस पीड़ा से मुक्ति के लिए हनुमानजी ने उन्हें शरीर पर लगाने के लिए तेल दिया था। यह तेल लगाते ही शनि की पीड़ा शांत हो गई। तब शनि ने हनुमानजी का आभार मानते हुए कहा कि अब से आपके भक्तों पर मेरी बुरी नजर का प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपके भक्तों को शनि का डर नहीं होगा। तभी से हनुमानजी के भक्तों को शनि सताता नहीं है। इसी प्रसंग के बाद शनि को तेल चढ़ाने की परंपरा भी प्रारंभ हुई है।
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