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Showing posts from December 28, 2017

महंगाई क्यूँ न बढे ?

दोस्तों, महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके लिए हम सरकारों को दोषी ठहराते आ रहे हैं। पर क्या कभी सोचा है इसके लिए हमारी जीवन दोषी है। हम जिस प्रकार पाश्चात्य संस्कृति का अनुशरण कर रहे हैं वो न सिर्फ हमारी पुरातन संस्कृति के लिए बल्कि वो हमारे धन और जीवन दोनों को नुकशान पहुंचा रही है। कुछ कारण जो मेरी नजर में हैं वो में बता रहा हूँ। आजकल नहाने का साबुन अलग मिलेगा और हाथ धोने का साबुन अलग। पहले तो साबुन ही नहीं था।  था भी तो केवल नहाने का।  हाथ धोने के लिए राख या साफ़ मिटटी इस्तेमाल करते थे और कम से कम बीमार होते थे। टॉयलेट साफ़ करने का हार्पिक अलग और बाथरूम धोने का अलग। और हाँ टॉयलेट में खुशबू वाली टिकिया अलग से मिलेगी। क्यों भाई एसिड में क्या दिक्कत है। कपडे धोने के लिए तीन तरह के वाशिंग पॉवडर होने जरूरी हैं।  एक मशीन से धोने के लिए , एक हाथ से धोने के लिए और एक कपड़ों पर कोई दाग है तो वेनिश। पहले तो एक से ही काम चला लेते थे। उससे पहले केवल पानी से ही साफ करते थे। हाथ धोने के लिए भी लिक्विड आने लगे हैं क्यूंकि विज्ञापन वाले बोलते हैं कि साबुन से बैक्टीरिआ ट्रा...