भारत में 20 करोड़ भूखे हैं। यूएन की एक रिपोर्ट है। दुनिया में सबसे ज्यादा भूखे हैं हमारे महान देश भारत में। 15 साल पहले सोचा गया था कि इनकी तादाद घटानी है। मकसद तय किया गया था। पूरा नहीं हुआ। चीन, पाकिस्तान और यहां तक कि बांग्लादेश में भी भूखों की तादाद घटी। पर भारत में नहीं। मोदी जी कह सकते हैं कि यह काम यूपीए सरकार को करना चाहिए था। जरूर करना चाहिए था। पर 15 साल पहले जब यह मकसद तय किया गया था तब मोदीजी के आदर्श भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी की ही सरकार थी। उन्हें पता नहीं इस बारे में कुछ करने का वक्त मिला होगा या नहीं। पर सवाल यह नहीं है कि अटल ने क्या किया या मनमोहन ने क्या नहीं किया। ये तो बहाने हैं। सवाल यह है कि मोदी क्या कर रहे हैं। पिछले एक साल में उन्होंने ऐसे क्या कदम उठाए जिनसे भूखों का पेट भरेगा? मोदी की नीतियां क्या किसी सूरत भी कांग्रेस से अलग हैं? क्या उन्होंने ऐसी कोई नीति बनाई है या उसका विचार ही रखा है, जो यूपीए से क्रांतिकारी रूप से अलग हो? जनधन, बीमा, उद्योगों पर निवेश बढ़ाना, जमीनों का अधिग्रहण वगैरह जितने भी बड़े कामों का गाना बीजेपी सरकार गा रही है, वे सब उस...