अज्ञान आपका घातक शत्रु है, जबकि ज्ञान हितैषी मित्र। ज्ञान जीवन के लिए आशा, उमंग, प्रेरणा, उत्साह व आनंद के इतने गवाक्ष खोल देता है कि जीवन का क्षण-क्षण ईश्वर का अनमोल उपहार प्रतीत होता है। एक सृजनशील क्षण आपको प्रतिष्ठा के उत्तुंग शिखर पर प्रतिस्थापित कर सकता है, जबकि कुविचार की अवस्था में क्षण भर का निर्णय आपको निकृष्टता की गर्त में धकेलकर जन्म-जन्मांतरों के लिए आपको लांछित व कलंकित करने के लिए पर्याप्त है। अज्ञान हमें निराशा और पतन की ओर ले जाता है, जबकि ज्ञान आात्मिक उन्नति का पर्याय बन जीवन समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नयन की आधारशिला भी बनाता है। जीवन में यत्र-तत्र-सर्वत्र आनंद व सृजन का सौरभ प्रवाहित करता रहता है। चाणक्य ने कहा है कि ‘अज्ञान के समान दूसरा कोई शत्रु नहीं है।’ अज्ञान के अंधकार में ज्ञान रूपी प्रकाश के अभाव में भविष्य रूपी भाग्य की राहें अदृष्ट हो जाती हैं और मनुष्य असहाय होकर अपने कर्म व चिंतन की दहलीज पर ही ठोकरें खाने को विवश होता है। मंजिल व लक्ष्य पास होने पर भी वह उसे न पाने के लिए अभिशप्त होता है। फिर वह अपनी ही सोच व कर्म के चक्रव्यूह में फंसकर भय से प्रकंपित ह...