इतिहास से छेड़छाड़ क्यों? : दोस्तों हम बचपन से सुनते और पढ़ते आ रहे हैं कि आजादी एक परिवार के बलिदान और त्याग की वजह से और गाँधी जी की सीखों से आयी है। जिसका प्रमाण हमें नौ लाख योजना और इमारतें जो एक परिवार के नाम पर चल रही हैं, हिंदुस्तान में लगभग सत्तर से अस्सी हज़ार ऐसी सड़कें हैं जो एक परिवार नाम पर हैं। क्यों ? कितने चढ़े फांसी पर और कितनो ने गोली खायी थी , क्यूँ झूट साहब कि चरखे से आजादी आयी थी। हिंदुस्तान के इतिहास का दुर्भाग्य है कि उसको तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है। हमने सिकंदर को विश्व विजेता बता दिया और महाराज पुरु को भुला दिया जबकि यूरोपियन इतिहास में स्पष्ट है सिकंदर हिंदुस्तान से हार कर गया था। हमने अकबर को महान बना दिया परन्तु महाराणा प्रताप को........? हमने कालू बाल्मीकि के बलिदान को जाति के जहर में घोल कर भुला दिया। ऐसे तमाम उदाहरण मिलेंगे आपको। ऐसे ही हमने या हमारे देश के इतिहास लेखकों ने या चाटुकार लेखकों ने इतिहास लिखने में चाटुकारिता दिखाई है वो किसी भी तरह से तथ्यों पर खरी नहीं उतरती है। मैं आभारी हूँ गाँधी जी की...