Skip to main content

Posts

Showing posts from February 1, 2015

इन 5 आदतों से कमज़ोर होते हैं दांत, Healthy teeth के लिए क्या करें

दांतों की सेहत सही बनाए रखने के लिए कुछ बातों को ज़हन में रखा जाना जरूरी है। ऐसा करने से आप लंबे समय तक दांतों की तकलीफ से पूरी तरह बचे रह सकते हैं। आदतों में किए गए थोड़े-से बदलाव से भी आप बेहतर परिणाम पाने में सफल रहेंगे। 1-बर्फ चबाना-चूसना जिन लोगों को बर्फ या ऐसी ही ठंडी चीजों को बार-बार चबाने या चूसने की आदत होती है, उन्हें दांतों की सेहत खराब होने का खतरा अधिक होता है। ऐसा करने से दांतों में फ्रेक्चर होने की आशंका बनी रहती है। यदि आपको कोई ड्रिंक पीने के बाद बचे हुए बर्फ को चबाने की आदत है तो आप इसे त्याग दें। बर्फ चबाने से दांतों में छोटे-छोटे क्रेक बन जाते हैं, जो भविष्य में बड़े होकर दांतों की जड़ों तक पहुंच सकते हैं। ऐसा करना बहुत ही घातक होता है। क्या करें? ठंडी चीजों को कम से कम समय के लिए मुंह में रहने दें। मीठे खाद्य पदार्थों को ज्यादा देर तक चूसते न रहें। 2-दांतों को औजार समझना कुछ लोग दांतों को औजार की तरह इस्तेमाल करते हैं। वे इससे बोतलों के ढक्कन खोलते हैं या नट्स तोड़ते हैं। ऐसा करना दांतों के लिए नुकसानदेह होता है। इससे दांतों की जड़ें कमजोर हो जा...

शुद्ध घी से चढ़ाएं हनुमानजी को चोला, ये हैं पूजा के नियम

वर्तमान समय में हनुमानजी सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवता हैं। इसलिए इन्हें कलयुग का जीवंत देवता भी कहा जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार दुनिया में ऐसा कोई सुख नहीं है जो हनुमानजी अपने भक्तों को नहीं दे सकते, लेकिन इसके लिए जरूरी है हनुमानजी के प्रति भक्त का समर्पण। 1 Next 3- हनुमानजी को जल चढ़ाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वह जल कुएं का हो और पूरी तरह से साफ-स्वच्छ हो। इसके अलावा भगवान श्रीहनुमान को गंगाजल चढ़ाने का विधान भी है। 2 Prev Next सुबह उठते ही ले हनुमानजी के 12 नाम धर्म ग्रंथों में हनुमानजी के प्रमुख 12 नाम बताए गए हैं, जिनके द्वारा उनकी स्तुति की जाती है। हनुमानजी के इन 12 नामों का जो रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने से पहले पाठ करता है, उसके सभी भय दूर हो जाते हैं और उसे अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। हनुमानजी की 12 नामों वाली स्तुति तथा उन नामों के अर्थ इस प्रकार हैं- 3 6 Prev Next वायुपुत्र-  हनुमानजी का एक नाम वायुपुत्र भी है। पवनदेव के पुत्र होने के कारण ही इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता ह...

तीन सौ रोगों की दवा है सहजन, स्‍वस्‍थ रहने के लिए करें सेवन

आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है। यह उत्‍तर और दक्षि‍ण भारत दोनों में पाया जाता है। दक्षिण भारत में पाए जाने वाले सहजन के पेड़ से साल भर फलि‍यां नि‍कलती हैं। वहीं, उत्‍तर भारत में इसका पेड़ महज एक बार ही फलि‍यां देता है। स्‍वास्‍थ्‍य के हि‍साब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्‍ति‍यों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्‍शि‍यम, पोटेशि‍यम, आयरन, मैग्‍नीशि‍यम, वि‍टामि‍न-ए, सी और बी-काम्‍प्‍लेक्‍स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इनका सेवन कर कई बीमारि‍यों को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसका बॉटेनिकल नाम 'मोरि‍गा ओलि‍फेरा' है। हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं। इसका पौधा लगभग दस मीटर उंचाई वाला होता है, लेकिन लोग इसे डेढ़-दो मीटर की उंचाई से हर साल काट देते हैं, जिससे इसके फल-फूल-पत्तियों तक हाथ आसानी से पहुंच सके। इसकी कच्ची-हरी फलियां सबसे ज्‍यादा उपयोग में लाई जाती हैं। सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बनाकर खाई जाती है। फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है। आमतौर पर इसका सेवन ग्रामीण इलाकों में अधि‍क देखने को मि‍लता है।...