अशोक चक्रधर हिन्दी के एक प्रसिद्ध हास्य कवि हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं से पाठकों को एक लंबे समय तक हंसाया हैं. अशोक चक्रधर की उन्हीं कुछ हास्य रचनाओं में से एक आपके लिए हाजिर है जो आपको बहुत हंसाएगी. बस में एक आम आदमी की व्यथा को अशोक चक्रधर ने बहुत ही सजग रुप से दर्शाया है.आप भी लीजिए एक अच्छी हास्य कविता का आनंद. बस में थी भीड़ और धक्के ही धक्के, यात्री थे अनुभवी, और पक्के। पर अपने बौड़म जी तो अंग्रेज़ी में सफ़र कर रहे थे, धक्कों में विचर रहे थे। भीड़ कभी आगे ठेले, कभी पीछे धकेले। इस रेलमपेल और ठेलमठेल में, आगे आ गए धकापेल में। और जैसे ही स्टॉप पर उतरने लगे, कंडक्टर बोला- ओ मेरे सगे! टिकट तो ले जा! बौड़म जी बोले- चाट मत भेजा! मैं बिना टिकिट के भला हूँ, सारे रास्ते तो पैदल ही चला हूँ।