श्रीरामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें जीवन प्रबंधन से जुड़े अनेक सूत्र छिपे हैं। इस पवित्र ग्रंथ की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की है। उन्होंने अपनी चौपाइयों में लाइफ मैनेजमेंट की अनेक ऐसी बातें बताई हैं, जो वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। श्रीरामचरितमानस के अरण्यकांड में जब शूर्पणखा लक्ष्मण द्वारा नाक, कान काटे जाने के बाद रावण के पास जाती है तब वह रावण को बताती है कि किन 6 को कभी छोटा यानी कमजोर नहीं समझना चाहिए। आज हम आपको उन्हीं 6 के बारे में बता रहे हैं- सोरठा- रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि। अस कहि बिबिध बिलाप करि लागी रोदन करन।। अर्थात- शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को छोटा नहीं समझना चाहिए। ऐसा कहकर शूर्पणखा अनेक प्रकार से विलाप करके रोने लगी। शत्रु- शत्रु भले ही कितना भी छोटा क्यों न हो, लेकिन उससे हमेशा सावधान रहना चाहिए क्योंकि कई बार छोटे शत्रु भी ऐसा अनिष्ट कर देते हैं, जिसके कारण बाद में पछताना पड़ता है। यदि छोटे-छोटे शत्रु राजा एकत्रित होकर किसी चक्रवती राजा पर एक साथ हमला कर...