Skip to main content

Posts

Showing posts from November 26, 2014
बात 1962 की है, जब दारा सिंह के कदम रांची की सरजमीं पर पड़े थे. सिडनी के किंग कांग ने दारा सिंह को कुश्ती लडऩे की चुनौती दी थी. हिन्दुतान के दारा सिंह ने उस 200 किलो के किंग कोंग की चुनौती को स्वीकार कर लिया था.... अब्दुर बारी पार्क में कुश्ती होना तय हुआ और ये कुश्ती होने से पहले ही सनसनी छा गयी .. नवंबर 1962 में दुनियाभर के पहलवान रांची में जुटे थे. उस वक्त सिटी में दारा सिंह की जिन-जिन पहलवानों के साथ कुश्ती हुई, सबमें उन्हें जीत मिली थी. पर, तब स्पेक्टेटर्स को उस पल का बे सब्री से इंतजार था, जब दारा सिंह और किंग कांग की भिड़ंत होती. थोड़े इंतजार के बाद दारा सिंह और किंग कांग अखाड़े पर उतरे. मुकाबले में 200 केजी के किंग कांग के सामने दारा सिंह तो बच्चे लग रहे थे, पर उनका आत्मविश्वास किंग कांग पर भारी पड़ा. दारा सिंह ने किंग कांग को तीन बार पटखनी दे दी. एक बार तो उन्होंने छह फीट लंबे किंग कांग को उठाकर ट्विस्ट करते हुए एरिना से नीचे गिरा दिया था. कुश्ती के दौरान जब-जब दारा सिंह ने किंग कांग को चारों खाने चित किया, तब तब भारी भीड़ ने तालियों से उस स्थान को गूंजा दिया.. नवंबर 1...
पूरे भारत में यह नियम लागू किया जाना चाहिए कि जो भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में है। चाहे वो कलेक्टर हो या SP या कोई अन्य कर्मचारी। सभी के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढेंगे और जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में न पढते हो उन्हें सरकारी नौकरियों से निकाल दिया जाए। सभी लोग समझ सकते है कि जब जिले के कलेक्टर और SP तथा अन्य अधिकारीयों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ना आरम्भ कर देंगे, तो उन स्कूल में शिक्षा का स्तर क्या होगा और शिक्षक किस तरह की पढाई वहाँ करवाएँगे। सभी शिक्षक स्कूल समय पर आएँगे और अपना कार्य पूरी ईमानदारी से करेंगे। जो शिक्षक किसी जुगाड़ के चलते शिक्षक बने है और पढाने में असमर्थ है वो स्वयं अपना इस्तीफा सरकार को सौंप देंगे। शिक्षा के स्तर में अचानक उछाल आ जाएगा और अपने देश के बच्चे भी मिसाल कायम करेंगे। और उनका इलाज भी सरकारी अस्पताल में ही करवाना जरुरी हो ताकि अस्पतालों की हालत में भी सुधार आ सके जो भी मित्र इस पोस्ट को पढ़ रहे है अगर उन्हें यह सुझाव अच्छा लगे। तो कृपया ये सुझाव और Share करके सरकार तक पहुचाँने मे हमारी मदद करें |
रामपाल मामले में पूरा मीडीया एक सुर में न्यायालय की अवमानना को लेकर बहुत ही भीषण विधवा विलाप कर रहा था, वही मीडीया धर्म-विशेष " अरे ना जी ना मैं तो स्पष्ट लिखता हूँ मुसलमान" हालांकि इस धर्म विशेष के मामलों में न्यायालय के आदेशों को रद्दी के टोकरों में अक्सर फेंका गया है और इस पर किसी ने इन चेनलों को फुसफुसाते हुए भी नहीं देखा होगा लीजीये भारत के सबसे चर्चित न्यायालय की फजीहत के बारे में पढ़िए. शाहबानो प्रकरण - धर्मनिरपेक्षता / साम्प्रदायिकता ?---------------- ----------------------------------- आज कल हर कोई साम्प्रदायिकता की बात करता है और धर्मनिरपेक्षता की बात करता है, पर आज शायद बहुत कम ही युवाओ को शाहबानो केस के बारे में मालूम होगा।शाहबानो एक 62 वर्षीय मुसलमान महिला और पाँच बच्चों की माँ थींजिन्हें 1978 में उनके पति ने तालाक दे दिया था। मुस्लिम पारिवारिक कानून के अनुसार पति पत्नी की मर्ज़ी के खिलाफ़ ऐसा कर सकता है। अपनी और अपने बच्चोंकी जीविका का कोई साधन न होने के कारण शाहबानो पति से गुज़ारा लेने के लिये अदालत पहुचीं। न्यायालय ने अपराध दंड संहिता की धारा 125 के अंतर्गत न...
एक बार एक फौजी अफसर की शादी हुई तो उसने अपनी बटालियन के सभी जवानों को शादी की दावत पर बुलाया । . . . . खाना टेबल पर लगा कर सब जवानों को फौजी अंदाज में कहा- . . . . मेरे शेरों इस खाने को दुश्मन समझ कर इस पर टूट पडो.... । . . . . . . . . . थोड़ी देर में अफसर क्या देखता है...... . . . . .. एक जवान एक हाथ से लड्डू जलेबी खा रहा है एक हाथ से जेब में ठूंस रहा है..... . . . . . . अफसर - जवान यह क्या हो रहा है....? . . . . . जवान -: साहब जितने मारने थे मार दिए अब बाकियों को बंदी बना रहा हूं..... !!! 
बंटी : पप्पा सर्कस चलिये ना.??? पप्पा : नही रे.. टाईम नही है. बण्टी : वहा एक लडकी ने (बिना कपडों के शेर पर सवारी) करी है..! पप्पा : बहोत झिद्दी हो गये हो.. हर बात मनवा लेते हो..!! चलो.. बहोत दिन हुए शेर को नही देखा..!!!!! आगे कि कहानी.. बाप बेटा सर्कस देखने गये.. पप्पा ने सबसे आगे कि सीट् वाली टिकट ले ली.. बिना कपडों की लडकी नही आयी..!! सर्कस भी खत्म हुई... पप्पा : तुमने तो कहा था एक लडकी बिना कपडों की आयेगी..? बंटी : बिना कपडो के तो 'शेर' कहा था..लडकी नही..!! ( मुझे यकिन है.. आप दोबारा जरुर पढेंगे
बीवी की कोशिस के चक्कर में साली बोतल खाली हो जाती है,, 2 पैग लगाये,,, मस्ती छाई,,,बीवी से सलाद माँगा,, नीबू निचोड़ लाई, चढ़ी चढ़ाई उतर गई,,, फिर 2 लगाए,, पानी माँगा,, नीबू मिला लाई,, साली फिर बैटरी डाउन हो गई, चक्कर समझ नहीं आया आज नशा पुराने मोबाईल की बैटरी की तरह फुर क्यों हो रहा है,,, फिर 2 लगाये,, पता चला इस बार पानी में इनो मिला लाई थी,,, गया डकार के साथ नशा,, में बोला भागवान कर क्या रही हो,,, बोली जी आपकी सेहत का ख्याल,, अरे मैडम सेहत के चक्कर में तुमने बोतल पिला डाली फिर भी रह गया प्यासा ख्याली,, भाई अपना सलाद और पानी खुद ही ले लिया करो वरना 2 के चक्कर में 8 भी कम पड़ेंगे....
रीमिक्स : "पापा मैने आपसे झूठ बोला था, मै औफिस मे ओवरटाइम नही, दोस्तो के साथ दारू पी रहा हुं...!!! : पापा -अब क्यों बताया ? : आपसे झूठ बोला था तो चढ नही रही थी"...!!! 
आदमी मस्त हो कर peg लगा रहा होता है . . . . और बीबी पास बैठी 4 th peg ख़तम होने का इंतजार कर रही होती है . . "कब साले का 4 th ख़तम हो . . और . नार्को test करु"

ये हैं वो 5 काम, जिन्हे करने वाले को कभी शांति नहीं मिलती

जब इंसान का बुरा वक्त आता है, तब उसकी यही चाहत और कोशिश होती है कि किसी भी तरह उससे बाहर निकल पाए ताकि आगे तरक्की कर सके। यह सोच किसी भी तरह से गलत भी नहीं है, लेकिन आज बढ़ती भौतिक सुखों की चकाचौंध इंसान के मन में बहुत कम वक्त में ज्यादा पाने की लालसा पैदा कर रही है। इसके चलते आगे बढऩे के लिए कुछ गलत सोच व तरीकों को अपनाना भी बुद्धिमत्ता का पैमाना माने जाने लगा है।  धर्म शास्त्रों के नजरिए से तरक्की के लिए क्षणभर के लिए भी अपनाया गया गलत उपाय आखिर में पतन का कारण बन सकता है, जिससे उबरने के लिए उम्र और लंबा समय भी गुजर जाता है। यहां जानिए हिन्दू धर्मग्रंथ गरुड़पुराण में  बताए गए ऐसे ही 5 काम, जिनको तरक्की, स्वार्थ या क्षणिक सुख और लाभ के लिए कभी न अपनाना सुखद व शांत जीवन के जरूरी बताया गया है-    मित्रता में कपट-  अपने फायदे के लिए कपटपूर्वक मित्रता करना व फिर छल करना, मित्रता को शत्रुता में बदलने का कारण बनती है। साथ ही बदनामी और अपयश का कारण भी।  बिना मेहनत के विद्या अर्जन-  कुशलता और कामयाबी के लिए संपूर्ण विद्या, व ज्ञान अहम होता है...

किसी भी मंत्र को सिद्ध करना हो तो याद रखें ये नियम

मंत्र का मूल भाव होता है- मनन। मनन के लिए ही मंत्रों के जप के सही तरीके धर्मग्रंथों में बताए है। शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए। साथ ही, एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है। माना जाता है कि इनके बिना मंत्रों की शक्ति कम हो जाती है और कामना पूर्ति या लक्ष्य प्राप्ति में उनका प्रभाव नहीं होता है। यहां मंत्र जप से संबंधित कुछ जरूरी नियम और तरीके बताए जा रहे हैं, जो गुरु मंत्र हो या किसी भी देव मंत्र और उससे मनचाहे कार्य सिद्ध करने के लिए बहुत जरूरी माने गए हैं-    - मंत्रों का पूरा लाभ पाने के लिए जप के दौरान सही मुद्रा या आसन में बैठना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए पद्मासन मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ होता है। इसके बाद वीरासन और सिद्धासन या वज्रासन को प्रभावी माना जाता है।  - मंत्र जप के लिए सही वक्त भी बहुत जरूरी है। इसके लिए ब्रह्ममूर्हुत यानी तकरीबन 4 से 5 बजे या सूर्योदय से पहले का समय श्रेष्ठ माना जाता है। प्रदोष काल यानी दिन का ढलना और रात्रि के आगमन का समय भी मंत्र जप के लिए उचित माना गया है। ...

रहीम के दोहे, स्त्री हो या पुरुष इन 7 बातों को दोनों ही गुप्त नहीं रख पाते

प्रसिद्ध कवि रहीम को उनके ज्ञानवर्धक और रोचक दोहों के लिए जाना जाता है। उनका पूरा नाम अबदुर्ररहीम खानखाना था। उनका जन्म संवत् 1613 ई. सन् 1553 में बैरम खां के घर लाहौर में हुआ था। संयोग से उस समय सम्राट हुमायूं सिकंदर सूरी का आक्रमण का प्रतिरोध करने के लिए सैन्य के साथ लाहौर में मौजूद थे। बैरम खां के घर पुत्र के जन्म होने की ख़बर सुनकर वे स्वयं वहां गए और उस बच्चे का नाम रहीम रखा।   बैरम खां की मौत के बाद रहीम का पालन-पोषण बादशाह अकबर की निगेबानी में हुआ। रहीम मध्यकालीन सामंतवादी संस्कृति के कवि थे। उनका व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न था। वे एक ही साथ सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि और विद्वान थे। रहीम सांप्रदायिक सद्भाव रखने वाले थे। उन्होंने ने ऐसे अनेक दोहे लिखे हैं, जिनमें जीवन के गूढ़ रहस्य छुपे हैं। आइए जानते हैं रहीम के कुछ ऐसे ही दोहों को जो ज्ञानवर्धक होने के साथ ही रोचक भी हैं।  खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥ - सात बातें ऐसी है...