Skip to main content

Posts

Showing posts from December 15, 2014

कम पैसे में ज्यादा मुनाफा, शुरू करें SOLAR ENERGY से जुड़ा ये बिजनेस

 भारत में सोलर पावर को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार सौर ऊर्जा पर पहल कर रही हैं। सौर ऊर्जा के प्लेट, बैट्री, इंस्टालेशन, उपकरण, रिसर्च जैसी चीजों में अपार संभावनाएं हैं। कारोबार के लिहाज से कई लघु व्यावसाइयों ने भी कदम बढ़ा दिए हैं, क्योंकि मांग के हिसाब से दुकान से लेकर यूनिट तक स्थापित करना फायदेमंद है। ऐसे में इस कारोबार को शुरू करके कारोबार कम समय और छोटी पूंजी में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।   एक लाख रुपए में प्लांट लगाकर कमाएं मुनाफा   बिजली की किल्लत और स्मार्ट बिजनेस के लिए वैकल्पिक ऊर्जा पर निर्भरता आने वाले दिनों में जबरदस्त बढ़ेगी। वहीं, देश में डब्ल्यूटीओ के मानकों पर 2022 तक 20,000 मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में सरकार के लक्ष्य के अलावा परिवार की भी जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का कारोबार बड़ी संभावनाएं और अवसर लेकर आ रहा है। इसमें करीब 1 लाख रुपए में छोटा सोलर प्लांट लगाकर मोटे मुनाफे से साथ बिजली बेच सकते हैं।   2040 तक ऊर्जा खपत का 5% प्रतिशत सौर ऊर्जा से ह...

चाणक्य कहते हैं ये चार काम कोई किसी को सीखा नहीं सकता

  आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियां किसी भी व्यक्ति के जीवन को सुखी और सफल बना सकती हैं। चाणक्य ने अपनी नीतियों के बल पर ही एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट बनाया। साथ ही, विदेशी शासक सिकंदर से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य की नीतियां बहुत ही सटीक हैं और जो भी व्यक्ति इन्हें जीवन में उतार लेता है, वह बड़ी परेशानियों का सामना भी आसानी से कर सकता है। यहां जानिए चाणक्य द्वारा बताए गए चार ऐसे काम जो कोई किसी को सीखा नहीं सकता है।   चाणक्य के अनुसार कोई भी व्यक्ति कितना दानवीर है, वह उसके स्वभाव में ही रहता है। किसी भी इंसान की दानशक्ति को कम करना या बढ़ाना बहुत ही मुश्किल कार्य है। यह आदत व्यक्ति के जन्म के साथ ही आती है। अत: किसी भी व्यक्ति दान करने के क्षमता को कम या ज्यादा नहीं किया जा सकता है। हर व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार ही दान-पुण्य करता है।    जानिए तीन काम और कौन-कौन से हैं... दूसरी बात है समय पर उचित या अनुचित निर्णय लेने की क्षमता   किसी भी व्यक्ति को यह नहीं सिखाया जा सकता कि वह किस समय कैसे निर्णय लें। जीवन में हर ...

गौतम बुद्ध के वे 'कथन' जो किसी हारे हुए इंसान को भी सफल बना सकते हैं

गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले कपिलवस्तु के लुम्बिनी नाम के वन में हुआ। इनकी माता का नाम महामाया था। यह स्थान वर्तमान मे नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान पर है। यहीं लुम्बिनी नाम का वन था। उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया। उनके पिता का नाम शुद्धोदन था। जन्म के सात दिन बाद ही मां का देहांत हो गया। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया। सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद् तो पढ़े ही, राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हांकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सिद्धार्थ के मन में बचपन से ही करुणा भरी थी। उनसे किसी भी प्राणी का दुख नहीं देखा जाता था। यह बात इन उदाहरणों से स्पष्ट भी होती है। घुड़दौड़ में जब घोड़े दौड़ते और उनके मुंह से झाग निकलने लगता तब सिद्धार्थ उन्हें थका जान कर वहीं रोक देते और जीती हुई बाजी हार जाते थे। खेल में भी सिद्धार्थ को खुद हार जाना पसंद था,  क्योंकि किसी को हराना और किसी का दुखी होना उनसे नहीं देखा जाता था। गौ...

क्या आप जानते हेंं, कलियुग में कहां रहते हैं हनुमानजी

श्रीहनुमान श्रीराम-भक्तों के परमधार, रक्षक और श्रीराम-मिलन के अग्रदूत हैं। रुद्र अवतार श्रीहनुमान का बल, पराक्रम, ऊर्जा, बुद्धि, सेवा व भक्ति के अद्भुत व विलक्षण गुणों से भरा चरित्र सांसारिक जीवन के लिए आदर्श माना जाता हैं। यही वजह है कि शास्त्रों में श्रीहनुमान को 'सकलगुणनिधान' भी कहा गया है। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक श्रीहनुमान 8 चिरंजीवी, सरल शब्दों में कहें तो अमर व दिव्य चरित्रों में एक है।    हनुमान उपासना के महापाठ श्रीहनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि - 'चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा।'   इस चौपाई में साफ संकेत है कि श्रीहनुमान ऐसे देवता है, जो हर युग में किसी न किसी रूप, शक्ति और गुणों के साथ जगत के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहते हैं। हनुमानजी से जुड़ी यही विलक्षण और अद्भुत बात उनके प्रति आस्था और श्रद्धा गहरी करती है। यहां जानिए, श्रीहनुमान किस युग में किस तरह जगत के लिए संकटमोचक बनें और खासतौर पर कलियुग यानी इस युग में श्रीहनुमान कहां बसते हैं -      सतयुग -  श्री हनु...

सुबह जल्दी नहाने से बढ़ती है चेहरे की चमक और मिलते हैं ये फायदे

अच्छे स्वास्थ्य और सुंदर शरीर के लिए जरूरी है रोज नहाना। नहाने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह-सुबह का ही होता है। शास्त्रों में सुबह जल्दी नहाने के कई चमत्कारी फायदे बताए गए हैं। नहाते समय यहां दी गई बातों का ध्यान रखेंगे तो सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त हो सकती है और कुंडली के दोष भी शांत हो सकते हैं। साथ ही, स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं।   सुबह जल्दी नहाने के फायदे...   शास्त्रों के अनुसार सुबह जल्दी जागना अनिवार्य बताया है। जल्दी जागकर सूर्योदय से पूर्व नहाने से त्वचा की चमक बढ़ती है और दिनभर के कामों में आलस्य का सामना नहीं करना पड़ता है। जबकि जो लोग देर से नहाते हैं, उनमें आलस्य अधिक रहता है, वे जल्दी थक जाते हैं और कम उम्र में ही त्वचा की चमक कम हो सकती है।   सुबह जल्दी जागकर नहाने के बाद प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने से मान-सम्मान प्राप्ति होती है, ऑफिस हो या घर आपके कार्यों को सराहना मिलती है।   नहाने से पहले तेल मालिश करें   नहाने से पहले शरीर की अच्छी तरह से तेल मालिश करना चाहि...

जानिए पर्स में क्या रखने से हो सकता है लाभ और क्या न रखें

कुछ समय पहले तक जहां पर्स रखना स्टेटस सिंबल माना जाता था, वहीं आज के समय में पर्स रखना बहुत जरूरी हो गया है। पर्स रखने के कई फायदे हैं जैसे आप अपने पूरे पैसे पर्स में व्यवस्थित तरीके से रख सकते हैं। साथ ,ही पर्स में जरूरी कागजात, डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड आदि रखने का स्थान भी अलग से होता है। पर्स होने से आपको पैसों या अन्य जरूरी चीजों के लिए अपनी जेबें नहीं टटोलनी पड़ती। ज्योतिष के अनुसार पर्स में यदि कुछ खास चीजें रखी जाएं तो इससे न सिर्फ बरकत बढ़ती है साथ ही शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। और यदि पर्स में कुछ ऐसी चीजें रखी जाएं जिससे नेगेटिव एनर्जी आती है तो इससे नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं पर्स में क्या रखना चाहिए और क्यों। पर्स में क्या रखना चाहिए, इसकी जानकारी इस प्रकार है-  मां लक्ष्मी की तस्वीर यदि आप अपने पर्स में मां लक्ष्मी का छोटा फोटो रखते हैं तो इसका शुभ फल प्राप्त होता है। पर्स में मां लक्ष्मी का फोटो रखने से बरकत बनी रहती है और पर्स कभी खाली नहीं रहता। मगर एक बात का विशेष ध्यान रखें कि जैसे ही मां लक्ष्मी का फोटो खंडित या खराब हो उसे तुर...

मर्दानी किरणदेवी और महाविलासी अकबर की दास्तान

अकबर प्रतिवर्ष दिल्ली में नौरोज के मेले का आयोजन करता था, जिसमें वह सुंदर युवतियों को खोजता था, और उनसे अपने शरीर की भूख शांत करता है। एक बार अकबर नौरोज के मेले में बुरका पहनकर सुंदर स्त्रियों की खोज कर ही रहा था, कि उसकी नजर मेले में घूम रही किरणदेवी पर जा पड़ी। वह किरणदेवी के रमणीय रूप पर मोहित हो गया। किरणदेवी मेवाड़ के महाराणा प्रतापसिंह के छोटे भाई शक्तिसिंह की पुत्री थी और उसका विवाह बीकानेर के प्रसिद्ध राजपूत वंश में उत्पन्न पृथ्वीराज राठौर के साथ हुआ था। अकबर ने बाद में किरणदेवी का पता लगा लिया कि यह तो तुम्हारे ही गुलाम की बीबी है, तो उसने पृथ्वीराज राठौर को जंग पर भेज दिया और किरण देवी को अपनी दूतियों के द्वारा बहाने से महल में आने का निमंत्रण दिया। अब किरणदेवी पहुंची अकबर के महल में, तो स्वागत तो होना ही था और इन शब्दो में हुआ, ‘‘हम तुम्हें अपनी बेगम बनाना चाहते हैं।’’ कहता हुआ अकबर आगे बढ़ा, तो किरणदेवी पीछे को हटी...अकबर आगे बढ़ते गया और किरणदेवी उल्टे पांव पीछे हटती गयी...लेकिन कब तक हटती बेचारी पीछे को...उसकी कमर दीवार से जा लगी। ‘‘बचकर कहाँ जाओगी,’’ अकबर मुस्कुराया,...