इस्लामी कट्टरपंथी गुटों की ओर से हाल में हुए बर्बर, अमानवीय हमलों ने दुनिया को हिला दिया है। भयभीत विश्व जब कारणों की पड़ताल कर समाधान खोजने का प्रयास कर रहा है, तो कई लेख सामने आए हैं। कई लोग ‘मध्यमार्गी मुस्लिमों’ की भूमिका पर जोर देते हैं। मुस्लिमों का वह शिक्षित व आधुनिक तबका, जिसने चुप्पी साध रखी है या इस सबमें ज्यादा मुखरता से सामने नहीं आया है। हालांकि, यह इतना आसान नहीं है। समाधान की तलाश में यह महत्वपूर्ण है कि किसी वर्ग को दोष नहीं दिया जाए। पहला कदम तो मध्यमार्गी मुस्लिम के दृष्टिकोण को समझना। जरा सोचें। आप किसी धर्म और उसके पवित्र ग्रंथों को सम्मान देते हुए पले-बढ़े हैं। रीतियों व परंपराओं के साथ आपको बहुत-से सकारात्मक मूल्यों को स्वीकार करना होता है। यदि पूछा जाए कि आपका धर्म आपको क्या सिखाता है? करुणा, ईमानदारी, नम्रता, प्रेम, सत्यनिष्ठा, उदारता ऐसी कुछ बातें आपके मन में आती हैं। आप तार् किक और वैज्ञानिक सोच के व्यक्ति हैं और इसके बाद भी धर्म को अपने जीवन में महत्वपूर्ण स्थान देते हैं, क्योंकि यही तो आपको मानवता सिखाता है, बेहतर व्यक्ति बनाता है और ...