बात 1962 की है, जब दारा सिंह के कदम
रांची की सरजमीं पर पड़े थे. सिडनी के किंग
कांग ने दारा सिंह को कुश्ती लडऩे
की चुनौती दी थी. हिन्दुतान के दारा सिंह ने
उस 200 किलो के किंग कोंग
की चुनौती को स्वीकार कर लिया था....
अब्दुर बारी पार्क में कुश्ती होना तय हुआ
और ये कुश्ती होने से पहले
ही सनसनी छा गयी .. नवंबर 1962 में
दुनियाभर के पहलवान रांची में जुटे थे. उस
वक्त सिटी में दारा सिंह की जिन-जिन
पहलवानों के साथ कुश्ती हुई, सबमें उन्हें जीत
मिली थी. पर, तब स्पेक्टेटर्स को उस पल
का बेसब्री से इंतजार था, जब दारा सिंह और
किंग कांग की भिड़ंत होती. थोड़े इंतजार के
बाद दारा सिंह और किंग कांग अखाड़े पर
उतरे. मुकाबले में 200 केजी के किंग कांग के
सामने दारा सिंह तो बच्चे लग रहे थे, पर
उनका आत्मविश्वास किंग कांग पर
भारी पड़ा.
दारा सिंह ने किंग कांग को तीन बार
पटखनी दे दी. एक बार तो उन्होंने छह फीट
लंबे किंग कांग को उठाकर ट्विस्ट करते हुए
एरिना से नीचे गिरा दिया था. कुश्ती के
दौरान जब-जब दारा सिंह ने किंग कांग
को चारों खाने चित किया, तब तब भारी भीड़
ने तालियों से उस स्थान को गूंजा दिया..
नवंबर 1962 में हुई ऐतिहासिक कुश्ती में
पाकिस्तान, इंडोनेशिया, सिडनी, हंगरी के
पहलवान जुटे थे. उस ऐतिहासिक
कुश्ती को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़
पड़ा था. उस वक्त उस कुश्ती को देखने
का एक टिकट 30 रुपए में मिला था. वह
दारा सिंह का क्रेज ही था, जिस कारण महंगे
टिकट होने के बावजूद लोग कुश्ती देखने गए.
भीड़ इतनी जुट चुकी थी कि उसे कंट्रोल करने
के लिए रांची के उस वक्त के एसपी ईएन बेदी ने
मैदान में टिन शीट से बैरिकेडिंग की थी.
दारा सिंह की रांची में वह 278वीं कुश्ती थी.
277 कुश्ती उन्होंने देश और विदेश में लड़
ली थी. हर कुश्ती में वह विनर रहे थे. यूथ में
दारा सिंह जैसे पहलवान बनने का क्रेज सिर
चढ़कर बोलता था. दारा सिंह
की पर्सनालिटी से इम्प्रेस होकर यूथ ने
वर्जिश करनी शुरू कर दी थी. तब जिसके घर में
मोटा- ताजा बच्चा पैदा होता था,
उसका नाम दारा रख दिया जाता था.
अब न तो कुश्ती ही देखने को मिलती है और
न ही अखाड़े नजर आते हैं. अब तो पुराने
पहलवान भी इस दुनिया में नहीं रहे. आजकल
तो पिज्जा और कोका कोला वाले नौजवान
ही देश में बचे हैं .. जो दो बादाम
नहीं पचा सकते और एक बाल्टी दूध
तो क्या उनके एक गिलास दूध भी हलक से
नहीं उतरती ..
दारा सिंह ने न bournvita, horlicks,
boost, complan लिया ,पिया तो सिर्फ
दूध। लेकिन ये कम्पनिया लोगो को टीवी पर
एड दिखा के मुर्ख बनाके भारत से
लाखो रूपया लूट ले जाती है और भारत के
लोग मुर्ख बनते है। मुर्ख बनके अपने
को समझदार समझते है...
रांची की सरजमीं पर पड़े थे. सिडनी के किंग
कांग ने दारा सिंह को कुश्ती लडऩे
की चुनौती दी थी. हिन्दुतान के दारा सिंह ने
उस 200 किलो के किंग कोंग
की चुनौती को स्वीकार कर लिया था....
अब्दुर बारी पार्क में कुश्ती होना तय हुआ
और ये कुश्ती होने से पहले
ही सनसनी छा गयी .. नवंबर 1962 में
दुनियाभर के पहलवान रांची में जुटे थे. उस
वक्त सिटी में दारा सिंह की जिन-जिन
पहलवानों के साथ कुश्ती हुई, सबमें उन्हें जीत
मिली थी. पर, तब स्पेक्टेटर्स को उस पल
का बेसब्री से इंतजार था, जब दारा सिंह और
किंग कांग की भिड़ंत होती. थोड़े इंतजार के
बाद दारा सिंह और किंग कांग अखाड़े पर
उतरे. मुकाबले में 200 केजी के किंग कांग के
सामने दारा सिंह तो बच्चे लग रहे थे, पर
उनका आत्मविश्वास किंग कांग पर
भारी पड़ा.
दारा सिंह ने किंग कांग को तीन बार
पटखनी दे दी. एक बार तो उन्होंने छह फीट
लंबे किंग कांग को उठाकर ट्विस्ट करते हुए
एरिना से नीचे गिरा दिया था. कुश्ती के
दौरान जब-जब दारा सिंह ने किंग कांग
को चारों खाने चित किया, तब तब भारी भीड़
ने तालियों से उस स्थान को गूंजा दिया..
नवंबर 1962 में हुई ऐतिहासिक कुश्ती में
पाकिस्तान, इंडोनेशिया, सिडनी, हंगरी के
पहलवान जुटे थे. उस ऐतिहासिक
कुश्ती को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़
पड़ा था. उस वक्त उस कुश्ती को देखने
का एक टिकट 30 रुपए में मिला था. वह
दारा सिंह का क्रेज ही था, जिस कारण महंगे
टिकट होने के बावजूद लोग कुश्ती देखने गए.
भीड़ इतनी जुट चुकी थी कि उसे कंट्रोल करने
के लिए रांची के उस वक्त के एसपी ईएन बेदी ने
मैदान में टिन शीट से बैरिकेडिंग की थी.
दारा सिंह की रांची में वह 278वीं कुश्ती थी.
277 कुश्ती उन्होंने देश और विदेश में लड़
ली थी. हर कुश्ती में वह विनर रहे थे. यूथ में
दारा सिंह जैसे पहलवान बनने का क्रेज सिर
चढ़कर बोलता था. दारा सिंह
की पर्सनालिटी से इम्प्रेस होकर यूथ ने
वर्जिश करनी शुरू कर दी थी. तब जिसके घर में
मोटा- ताजा बच्चा पैदा होता था,
उसका नाम दारा रख दिया जाता था.
अब न तो कुश्ती ही देखने को मिलती है और
न ही अखाड़े नजर आते हैं. अब तो पुराने
पहलवान भी इस दुनिया में नहीं रहे. आजकल
तो पिज्जा और कोका कोला वाले नौजवान
ही देश में बचे हैं .. जो दो बादाम
नहीं पचा सकते और एक बाल्टी दूध
तो क्या उनके एक गिलास दूध भी हलक से
नहीं उतरती ..
दारा सिंह ने न bournvita, horlicks,
boost, complan लिया ,पिया तो सिर्फ
दूध। लेकिन ये कम्पनिया लोगो को टीवी पर
एड दिखा के मुर्ख बनाके भारत से
लाखो रूपया लूट ले जाती है और भारत के
लोग मुर्ख बनते है। मुर्ख बनके अपने
को समझदार समझते है...
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