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Showing posts from November, 2014

मीडिया का दोगला पन…

मैं आज यहाँ जो लिखने जा रहा हूँ, हो सकता है कुछ लोगों की राय इससे भिन्न हो, पर बात बिलकुल सही है, आपने देखा होगा और शायद किया भी हो, हमारे देश में जब भी कोई बुरी घटना घटती है, तो अखवार और टीवी वाले समाज को कोसते हैं, कि क्या हो रहा है है देश में, जैसे अभी दो या तीन दिन पुरानी बात है , कर्नाटका के बंगलुरु में कुछ मनचलों ने कुछ महिलाओं को बुरी तरह से परेशान किया दुसरे सब्दों में छेड़ा , वो महिलाऐं बेचारी अपनी कार के अंदर छुप गयी और दरवाजे और खिड़की बंद कर ली, उन बदमाशों ने फिर भी उनका पीछा नहीं छोड़ा तो वो सहायता के चिल्लाने लगीं, लोगों का ध्यान उनकी तरफ नहीं गया, जबकि एक सभ्य नागरिक का कर्तब्य है की यदि बच्चे, बुड्ढे या महिलाओं पर अत्याचार हो रहा हो तो उसको अपने प्राणों से बढ़कर इनकी रक्षा करनी चाहिए। पर ऐसा हुआ नहीं, उल्टा लोग हँसतेhue गुज़र रहे थे. जो कि बहुत ही लज्जात्मक है। इस बात को हमारे अखवार और टीवी वाले बंधुओं ने पूरी तन्मयता से उठाया, जो की अच्छे नागरिक का कर्तब्य भी है, ऐसा देखकर अच्छा लगा, अब इन्ही अखवार और टीवी वालों ने एक दूसरी घटना को भी बहुत बढ़चढ़ कर दिखया जो कि उत्तर प्र...

अगर ध्यान रखेंगे ये बात तो कभी उदास नहीं होंगे....

 व्यक्ति निर्भय हो और उसका मन भीतर से शांत हो तो ऐसे लोग परमात्मा को सरलता से पा सकते हैं। परमात्मा को पाने का यह अर्थ न समझा जाए कि वे व्यक्ति के रूप में साक्षात मिल जाएंगे। परमात्मा को पाने का मामला अनुभूति से जुड़ा है। दुनिया में कई तरह के भय हैं।  धन, प्रतिष्ठा, रिश्ते, सम्मान और अपना शरीर, इन सबके नुकसान का भय मनुष्य को सताता है। आदमी इन्हीं के भय में उलझ जाता है और भूल जाता है कि सबसे बड़ा भय है मृत्यु का भय। जिसने मृत्यु के भय को ठीक से समझ लिया, वह इन भय के टापुओं से मुक्ति पा लेगा। सुंदरकांड में रावण के दरबार में रावण हनुमानजी को मारने का फैसला ले चुका था। जब उसे रोका गया तो उसने पूंछ में आग लगाने का आदेश दे दिया। सुनत बिहसि बोला दसकंधर। अंग भंग करि पठइअ बंदर।। यह सुनते ही रावण हंसकर बोला - अच्छा, तो बंदर को अंग-भंग करके भेज दिया जाए। जिन्ह कै कीन्हिसि बहुत बड़ाई। देखउं मैं तिन्ह कै प्रभुताई।  जिनकी इसने बहुत बढ़ाई की है, मैं जरा उनकी प्रभुता तो देखूं। यहां रावण और हनुमानजी भय और निर्भयता की स्थिति में खड़े हुए हैं। रावण बार-बार इसीलिए हंसता है, क्योंकि वह अप...

ये बातें ध्यान रखेंगे तो बन सकते हैं सबके चहेते और प्रिय

सालों पहले एक महान कलाकार को एक कैथेड्रल की दीवार पर भित्तिचित्र बनाने का काम सौंपा गया था। पेंटिंग का विषय था- 'क्राइस्ट का जीवन।’ उन्हें मॉडल ढूंढने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। खासकर क्राइस्ट और उन्हें धोखा देने वाले जूडास का मॉडल तलाशने में।   एक दिन शहर के पुराने इलाके में टहलते हुए उनका सामना बच्चों के एक समूह से हुआ। उनमें से एक 12 साल के बच्चे का चेहरा कलाकार को अच्छा लगा। उन्हें वह चेहरा बिल्कुल किसी एंजिल की तरह लगा। बहुत ही गंदा, लेकिन उन्हें इसी चेहरे की तो तलाश थी। उन्हें क्राइस्ट बच्चे का मॉडल मिल गया था। क्राइस्ट बच्चे का चित्र बनने तक वह बच्चा रोज-रोज बेहद संयम के साथ बैठता।   पेंटर को जूडा के मॉडल के तौर पर कोई नहीं मिला। कई वर्षों बाद भी उन्हें यह ही डर सता रहा था कि उनका मास्टरपीस अभी तैयार नहीं हुआ है। उन्होंने अपनी खोज जारी रखी। उन्हें ऐसा चेहरा कहीं नहीं मिला, जिसे जूडा के तौर पर वह पेश कर सके। उन्हें ऐसा चेहरा चाहिए था जिस पर पूरी तरह हवस और लालच दिखाई दें।   एक दिन पेंटर अपने वरांडे में बैठा चाय पी रहा था। एक जीर्ण-शीर्ण सी छव...

नौकरी में प्रमोशन और नई जिम्मेदारी चाहिए तो ध्यान रखें ये बातें भी

हैरानी की बात है कि लोग 'मैं नहीं जानता’ ये तीन शब्द बोलने से घबराते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से लोग उन्हें अज्ञानी मान लेंगे। वह यह नहीं समझ पाते कि किसी एक विषय पर अनभिज्ञता स्वीकार न करके अपनी पूरी जानकारी को ही संदेह के दायरे में ला रहे हैं।   कुछ ही माह के बाद अप्रैल का महीन आ जाएगा...। प्रोफेशनल लोगों के लिए यह वक्त मूल्यांकन और आत्मावलोकन का होता है। समीक्षा का होता है। पीछे मुड़कर यह देखने का होता है कि हमने करियर की शुरुआत कहां से की थी। अब कहां हैं और भविष्य में कहां हो सकते हैं। हर प्रोफेशनल व्यक्ति इस दौर से गुजरता है। हालांकि, हैरान करने वाली हकीकत यह है कि समान पृष्ठभूमि और क्षमता के साथ शुरुआत करने के बावजूद कुछ सालों बाद एक व्यक्ति शीर्ष और दूसरा निचले पायदान पर रह जाता है।   वे व्यक्ति जो अपनी क्षमताओं का कभी-कभी उपयोग करते हैं, वे शीर्ष पर नहीं पहुंचते। जो व्यक्ति शीर्ष पर पहुंचते हैं वे अपनी क्षमताओं के साथ दूसरी खूबियों को भी मिला देते हैं, जैसे-यह जानना कि लोग उसके काम को कैसे आंकते रहे हैं और कॉरपोरेट जगत कैसे काम करता है। ऐसे व्यक्ति सिर...

ग्रंथों से, ये हैं वो 5 चीजें जो किसी को भी ताकतवर बना सकती हैं

विदुर एक नीतिज्ञ के रूप में विख्यात हैं।  वे महाभारत का एक जाना माना चरित्र हैं, उन्हें कौरवों और पांडवों के काका व पाण्डु के भाई के रूप में भी जाना जाता है। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर धृतराष्ट्र के मन्त्री, लेकिन न्यायप्रियता के कारण पाण्डवों के हितैषी थे। विदुर के ही प्रयत्नों से पाण्डव लाक्षागृह में जलने से बचे थे। युद्ध को रोकने के लिए विदुर ने यत्न किए, लेकिन असफल रहे। इनकी प्रसिद्ध रचना विदुर नीति के अन्तर्गत नीति सिद्धान्तों का सुन्दर निरूपण हुआ है। आज हम आपको बता रहे हैं धर्मराज कहे जाने वाले विदुर की कुछ खास नीतियां जो किसी को भी ताकतवर बना सकती हैं। विदुर नीति के मुताबिक- बलं पंचविधं नित्यं पुरुषाणां निबोध मे। यत्तु बाहुबलं नाम कनिष्ठं बलमुच्यते।। इस श्लोक के मुताबिक इंसान के लिए जरूरी पहली शक्ति बाहुबल होती है। जानिए इसका अर्थ- बाहुबल- शारीरिक ताकत यानी शरीर हष्टपुष्ट और स्वस्थ रखना। इसे कनिष्ठ बल भी कहा गया है। हर रोज योग या कसरत के उपायों से शरीर व मन को तंदुरुस्त रखें। अमात्यलाभो भद्रं ते द्वितीयं बलमुच्यते। तृतीयं धनलाभं तु बलमहुर्...
बात 1962 की है, जब दारा सिंह के कदम रांची की सरजमीं पर पड़े थे. सिडनी के किंग कांग ने दारा सिंह को कुश्ती लडऩे की चुनौती दी थी. हिन्दुतान के दारा सिंह ने उस 200 किलो के किंग कोंग की चुनौती को स्वीकार कर लिया था.... अब्दुर बारी पार्क में कुश्ती होना तय हुआ और ये कुश्ती होने से पहले ही सनसनी छा गयी .. नवंबर 1962 में दुनियाभर के पहलवान रांची में जुटे थे. उस वक्त सिटी में दारा सिंह की जिन-जिन पहलवानों के साथ कुश्ती हुई, सबमें उन्हें जीत मिली थी. पर, तब स्पेक्टेटर्स को उस पल का बे सब्री से इंतजार था, जब दारा सिंह और किंग कांग की भिड़ंत होती. थोड़े इंतजार के बाद दारा सिंह और किंग कांग अखाड़े पर उतरे. मुकाबले में 200 केजी के किंग कांग के सामने दारा सिंह तो बच्चे लग रहे थे, पर उनका आत्मविश्वास किंग कांग पर भारी पड़ा. दारा सिंह ने किंग कांग को तीन बार पटखनी दे दी. एक बार तो उन्होंने छह फीट लंबे किंग कांग को उठाकर ट्विस्ट करते हुए एरिना से नीचे गिरा दिया था. कुश्ती के दौरान जब-जब दारा सिंह ने किंग कांग को चारों खाने चित किया, तब तब भारी भीड़ ने तालियों से उस स्थान को गूंजा दिया.. नवंबर 1...
पूरे भारत में यह नियम लागू किया जाना चाहिए कि जो भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में है। चाहे वो कलेक्टर हो या SP या कोई अन्य कर्मचारी। सभी के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढेंगे और जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में न पढते हो उन्हें सरकारी नौकरियों से निकाल दिया जाए। सभी लोग समझ सकते है कि जब जिले के कलेक्टर और SP तथा अन्य अधिकारीयों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ना आरम्भ कर देंगे, तो उन स्कूल में शिक्षा का स्तर क्या होगा और शिक्षक किस तरह की पढाई वहाँ करवाएँगे। सभी शिक्षक स्कूल समय पर आएँगे और अपना कार्य पूरी ईमानदारी से करेंगे। जो शिक्षक किसी जुगाड़ के चलते शिक्षक बने है और पढाने में असमर्थ है वो स्वयं अपना इस्तीफा सरकार को सौंप देंगे। शिक्षा के स्तर में अचानक उछाल आ जाएगा और अपने देश के बच्चे भी मिसाल कायम करेंगे। और उनका इलाज भी सरकारी अस्पताल में ही करवाना जरुरी हो ताकि अस्पतालों की हालत में भी सुधार आ सके जो भी मित्र इस पोस्ट को पढ़ रहे है अगर उन्हें यह सुझाव अच्छा लगे। तो कृपया ये सुझाव और Share करके सरकार तक पहुचाँने मे हमारी मदद करें |
रामपाल मामले में पूरा मीडीया एक सुर में न्यायालय की अवमानना को लेकर बहुत ही भीषण विधवा विलाप कर रहा था, वही मीडीया धर्म-विशेष " अरे ना जी ना मैं तो स्पष्ट लिखता हूँ मुसलमान" हालांकि इस धर्म विशेष के मामलों में न्यायालय के आदेशों को रद्दी के टोकरों में अक्सर फेंका गया है और इस पर किसी ने इन चेनलों को फुसफुसाते हुए भी नहीं देखा होगा लीजीये भारत के सबसे चर्चित न्यायालय की फजीहत के बारे में पढ़िए. शाहबानो प्रकरण - धर्मनिरपेक्षता / साम्प्रदायिकता ?---------------- ----------------------------------- आज कल हर कोई साम्प्रदायिकता की बात करता है और धर्मनिरपेक्षता की बात करता है, पर आज शायद बहुत कम ही युवाओ को शाहबानो केस के बारे में मालूम होगा।शाहबानो एक 62 वर्षीय मुसलमान महिला और पाँच बच्चों की माँ थींजिन्हें 1978 में उनके पति ने तालाक दे दिया था। मुस्लिम पारिवारिक कानून के अनुसार पति पत्नी की मर्ज़ी के खिलाफ़ ऐसा कर सकता है। अपनी और अपने बच्चोंकी जीविका का कोई साधन न होने के कारण शाहबानो पति से गुज़ारा लेने के लिये अदालत पहुचीं। न्यायालय ने अपराध दंड संहिता की धारा 125 के अंतर्गत न...
एक बार एक फौजी अफसर की शादी हुई तो उसने अपनी बटालियन के सभी जवानों को शादी की दावत पर बुलाया । . . . . खाना टेबल पर लगा कर सब जवानों को फौजी अंदाज में कहा- . . . . मेरे शेरों इस खाने को दुश्मन समझ कर इस पर टूट पडो.... । . . . . . . . . . थोड़ी देर में अफसर क्या देखता है...... . . . . .. एक जवान एक हाथ से लड्डू जलेबी खा रहा है एक हाथ से जेब में ठूंस रहा है..... . . . . . . अफसर - जवान यह क्या हो रहा है....? . . . . . जवान -: साहब जितने मारने थे मार दिए अब बाकियों को बंदी बना रहा हूं..... !!! 
बंटी : पप्पा सर्कस चलिये ना.??? पप्पा : नही रे.. टाईम नही है. बण्टी : वहा एक लडकी ने (बिना कपडों के शेर पर सवारी) करी है..! पप्पा : बहोत झिद्दी हो गये हो.. हर बात मनवा लेते हो..!! चलो.. बहोत दिन हुए शेर को नही देखा..!!!!! आगे कि कहानी.. बाप बेटा सर्कस देखने गये.. पप्पा ने सबसे आगे कि सीट् वाली टिकट ले ली.. बिना कपडों की लडकी नही आयी..!! सर्कस भी खत्म हुई... पप्पा : तुमने तो कहा था एक लडकी बिना कपडों की आयेगी..? बंटी : बिना कपडो के तो 'शेर' कहा था..लडकी नही..!! ( मुझे यकिन है.. आप दोबारा जरुर पढेंगे
बीवी की कोशिस के चक्कर में साली बोतल खाली हो जाती है,, 2 पैग लगाये,,, मस्ती छाई,,,बीवी से सलाद माँगा,, नीबू निचोड़ लाई, चढ़ी चढ़ाई उतर गई,,, फिर 2 लगाए,, पानी माँगा,, नीबू मिला लाई,, साली फिर बैटरी डाउन हो गई, चक्कर समझ नहीं आया आज नशा पुराने मोबाईल की बैटरी की तरह फुर क्यों हो रहा है,,, फिर 2 लगाये,, पता चला इस बार पानी में इनो मिला लाई थी,,, गया डकार के साथ नशा,, में बोला भागवान कर क्या रही हो,,, बोली जी आपकी सेहत का ख्याल,, अरे मैडम सेहत के चक्कर में तुमने बोतल पिला डाली फिर भी रह गया प्यासा ख्याली,, भाई अपना सलाद और पानी खुद ही ले लिया करो वरना 2 के चक्कर में 8 भी कम पड़ेंगे....
रीमिक्स : "पापा मैने आपसे झूठ बोला था, मै औफिस मे ओवरटाइम नही, दोस्तो के साथ दारू पी रहा हुं...!!! : पापा -अब क्यों बताया ? : आपसे झूठ बोला था तो चढ नही रही थी"...!!! 
आदमी मस्त हो कर peg लगा रहा होता है . . . . और बीबी पास बैठी 4 th peg ख़तम होने का इंतजार कर रही होती है . . "कब साले का 4 th ख़तम हो . . और . नार्को test करु"

ये हैं वो 5 काम, जिन्हे करने वाले को कभी शांति नहीं मिलती

जब इंसान का बुरा वक्त आता है, तब उसकी यही चाहत और कोशिश होती है कि किसी भी तरह उससे बाहर निकल पाए ताकि आगे तरक्की कर सके। यह सोच किसी भी तरह से गलत भी नहीं है, लेकिन आज बढ़ती भौतिक सुखों की चकाचौंध इंसान के मन में बहुत कम वक्त में ज्यादा पाने की लालसा पैदा कर रही है। इसके चलते आगे बढऩे के लिए कुछ गलत सोच व तरीकों को अपनाना भी बुद्धिमत्ता का पैमाना माने जाने लगा है।  धर्म शास्त्रों के नजरिए से तरक्की के लिए क्षणभर के लिए भी अपनाया गया गलत उपाय आखिर में पतन का कारण बन सकता है, जिससे उबरने के लिए उम्र और लंबा समय भी गुजर जाता है। यहां जानिए हिन्दू धर्मग्रंथ गरुड़पुराण में  बताए गए ऐसे ही 5 काम, जिनको तरक्की, स्वार्थ या क्षणिक सुख और लाभ के लिए कभी न अपनाना सुखद व शांत जीवन के जरूरी बताया गया है-    मित्रता में कपट-  अपने फायदे के लिए कपटपूर्वक मित्रता करना व फिर छल करना, मित्रता को शत्रुता में बदलने का कारण बनती है। साथ ही बदनामी और अपयश का कारण भी।  बिना मेहनत के विद्या अर्जन-  कुशलता और कामयाबी के लिए संपूर्ण विद्या, व ज्ञान अहम होता है...

किसी भी मंत्र को सिद्ध करना हो तो याद रखें ये नियम

मंत्र का मूल भाव होता है- मनन। मनन के लिए ही मंत्रों के जप के सही तरीके धर्मग्रंथों में बताए है। शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए। साथ ही, एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है। माना जाता है कि इनके बिना मंत्रों की शक्ति कम हो जाती है और कामना पूर्ति या लक्ष्य प्राप्ति में उनका प्रभाव नहीं होता है। यहां मंत्र जप से संबंधित कुछ जरूरी नियम और तरीके बताए जा रहे हैं, जो गुरु मंत्र हो या किसी भी देव मंत्र और उससे मनचाहे कार्य सिद्ध करने के लिए बहुत जरूरी माने गए हैं-    - मंत्रों का पूरा लाभ पाने के लिए जप के दौरान सही मुद्रा या आसन में बैठना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए पद्मासन मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ होता है। इसके बाद वीरासन और सिद्धासन या वज्रासन को प्रभावी माना जाता है।  - मंत्र जप के लिए सही वक्त भी बहुत जरूरी है। इसके लिए ब्रह्ममूर्हुत यानी तकरीबन 4 से 5 बजे या सूर्योदय से पहले का समय श्रेष्ठ माना जाता है। प्रदोष काल यानी दिन का ढलना और रात्रि के आगमन का समय भी मंत्र जप के लिए उचित माना गया है। ...

रहीम के दोहे, स्त्री हो या पुरुष इन 7 बातों को दोनों ही गुप्त नहीं रख पाते

प्रसिद्ध कवि रहीम को उनके ज्ञानवर्धक और रोचक दोहों के लिए जाना जाता है। उनका पूरा नाम अबदुर्ररहीम खानखाना था। उनका जन्म संवत् 1613 ई. सन् 1553 में बैरम खां के घर लाहौर में हुआ था। संयोग से उस समय सम्राट हुमायूं सिकंदर सूरी का आक्रमण का प्रतिरोध करने के लिए सैन्य के साथ लाहौर में मौजूद थे। बैरम खां के घर पुत्र के जन्म होने की ख़बर सुनकर वे स्वयं वहां गए और उस बच्चे का नाम रहीम रखा।   बैरम खां की मौत के बाद रहीम का पालन-पोषण बादशाह अकबर की निगेबानी में हुआ। रहीम मध्यकालीन सामंतवादी संस्कृति के कवि थे। उनका व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न था। वे एक ही साथ सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि और विद्वान थे। रहीम सांप्रदायिक सद्भाव रखने वाले थे। उन्होंने ने ऐसे अनेक दोहे लिखे हैं, जिनमें जीवन के गूढ़ रहस्य छुपे हैं। आइए जानते हैं रहीम के कुछ ऐसे ही दोहों को जो ज्ञानवर्धक होने के साथ ही रोचक भी हैं।  खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥ - सात बातें ऐसी है...

रिनझाई,

रिनझाई, कोरिया देश के माने हुये सन्त थे। उनके निकट रहकर अनेकों ने सिद्धियाँ पाई थीं। एक धनी व्यक्ति आया और कहा- मुझे बहुत व्यस्तता है, जल्दी सिद्धियाँ मिले, ऐसा उपाय बता दीजिए। रिनझाई ने कहा- बस मात्र तीस वर्ष लगेगा। इतने समय ठहरना पड़ेगा आश्चर्यचकित होकर उसने पूछा भला इतना समय किसलिए? उत्तर मिला- गलती हो गयी- तुम्हें साठ वर्ष ठहरना पड़ेगा। उतावली दूर करने के तीस वर्ष और सन्देह हटाने के लिए तीस वर्ष। उस बार व्यक्ति वापस लौट गया। पर घर जाकर विचार करने लगा। इतने बड़े लाभ के लिए  यदि सारी जिन्दगी भी लग जाय तो क्या हर्ज है। वह वापस लौट आया और साठ वर्ष साधना करने के लिए तैयार हो गया। तीन वर्ष पूरे हो पाये थे कि साधना पूरी हुई और सिद्धि मिल गयी। इतनी देर में होने वाला काम इतनी जल्दी कैसे हो गया, इस शंका का समाधान करते हुये रिनझाई ने कहा- उतावली और असमंजस यह दो ही साधना मार्ग के दो बड़े विघ्न हैं, यदि धैर्य और विश्वास जम सके तो आत्मिक प्रगति में देर नहीं लगती।

मार्मिक कहानी कहानी एक गलती की :-

एक बार कुछ विद्यार्थी रसायन विज्ञानं प्रयोगशाला में कुछ प्रयोग कर रहे थे. सभी विद्यार्थी अपने अपने प्रयोगों में व्यस्त थे कि अचानक एक लड़के की परखनली से तेज बुलबुला उठा और उसकी छिट्कियाँ सामने प्रयोग कर रही लड़की की आँखों में चला गया. पूरी प्रयोगशाला में हाहाकार मच गया, सभी खूब परेशांन हुए, आनन फानन में उस लड़की को अस्पताल पहुँचाया गया, वहाँ डाक्टरों ने बताया कि वो अपनी आँखें खो चुकी है. ये सुन कर उस लड़की के घर वालों ने उस लड़के को कोसना शुर ू कर दिया और स्कूल वालों ने उस लड़के को स्कूल से निकाल दिया. अब वो अंधी लड़की अपनी नीरस ज़िन्दगी बिता रही थी, जो शायद किसी की लापरवाही की वजह से वीरान सी हो गयी थी, अब उस लड़की की ज़िन्दगी में कोई भी रंग कोई मायने नहीं रखता था. घर वाले भी वक़्त बेवक्त उस लड़के को कोसते रहते थे जिसने उनकी लड़की की ज़िन्दगी खराब कर दी थी. आज कल के ज़माने में तो किसी के सामने हूर परी भी बैठा दो तो भी लड़के वालों को उससे भी ज्यादा खूबसूरत चाहिए होती है. फिर उस बिचारी की वीरान ज़िन्दगी में रंग भरने की बात सोच पाना भी असंभव सा था. खैर वक़्त बीतता गया और उस लड़की को उस ...

हमारा देश फिर से सोने की चिड़िया बनकर चहचहा सके

मैं गाय की पूजा करता हूँ | यदि समस्त संसार इसकी पूजा का विरोध करे तो भी मैं गाय को पुजूंगा-गाय जन्म देने वाली माँ से भी बड़ी है | हमारा मानना है की वह लाखों व्यक्तियों की माँ है “ - महात्मा गाँधी  गौ मे ३३ करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है , अतः गौ हमारे लिए पूजनीय है परन्तु क्या इन धार्मिक मान्यता के आधार पर भी आज ही़नदुस्तान में गौ को उसका समुचित स्थान मिल पाया है ? नहीं |  अतः समय है आज के (तथाकथित ) वैज्ञानिक एवं व्याप ारिक युग में गौ की उपयोगिता के उस पहलु पर भी विचार किया जाये तब शायद उसके ये मानस-पुत्र स्वर्थावास ही सही परन्तु उसकी हत्या करने के पाप से बच तो जायेंगे | संपूर्ण जीवधारियो में गौ का एक अलग और महत्वपूर्ण स्थान है | यह स्थान ज्ञान और विज्ञान सम्मत है , ज्ञान और विज्ञान के पश्चात आध्यात्म तो उपस्थित हो ही जाता है | इस प्रकार ज्ञान , विज्ञान और आध्यात्म – इन तीन की बराबर रेखाओ के सम्मिलन से जो त्रिभुज बनता है ,उसे गाय कहते है | विद्वानों ने गाय को साक्षात् पृथ्वी-स्वरूपा बतलाया है| इस जगत के भार को जो समेटे हुए है और जगत के संपूर्ण गुणों की जो खान है उसका नाम ...
महाभारत हो गया था एक नारी के अपमान पर, तो रामजी बनवास चले गये थे अपने पिता के सम्मान पर कैसे विचार पल रहे है आज की पीढी में गन्दे विचार और आग रहती है जुबान पर कोई क्यों आज बेटी का सम्मान नही करता बेटी होने पर क्यों कोई अभिमान नही करता नारी का हर रुप सम्मान का हकदार है। फिर इसका असर क्यों नही होता इन्सान पर अभी वक्त है बचा लो इस धरती को, बेटी,बहन, पत्नी और माँ की संस्कृति को जमीं नही बची तो कुलदीपक कहाँ मिलेगा अच्छी सोच सोचो, गर्व करो बेटी के स्वाभिमान पर....

अगर शोले संस्कृत में होती तो..

१.......बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना || हे बसन्ति एतेषां श्वानानाम् पुरत: मा नृत्य|| २.......अरे ओ सांबा, कितना इनाम रखे हैं सरकार हम पर? ||हे साम्बा, सर्वकारेण कति पारितोषिकानि अस्माकं कृते उद्घोषितानि? ३.......चल धन्नो आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है ||धन्नो, (चलतु वा) धावतु अद्य तव बसन्त्य: लज्जाया: प्रश्न: अस्ति | ४.......जो डर गया समझो मर गया || य भीत:भवेत् स:मृत:एव मन्य || ५.......आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ और बाकी हमारे पीछे आओ || केचन पुरुषा:अत्र गच्छन्तु केचन पुरुषा: तत्र गच्छन्तु शेषा:पुरुषा:मया सह आगच्छतु|| ६......सरदार, मैने आपका नमक खाया है ||हे प्रधानपुरुष: मया तव लवणम् खाद्यते || ७.......अब गोली खा. ||अधुना गोलीम् खाद || ८.......सुअर के बच्चो... ||हे सुकराणां अपत्यानि.....|| ९.......तेरा क्या होगा कालिया...| हे कालिया तव किं भवेत् ? १०......ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर ॥ ठाकुर, यच्छतु मह्यं तव करौ || ११......हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर है| ||अहं आंग्लपुरुषाणाम् समयस्य कारानिरीक्षक: अस्ति || १२..... तुम्हारा नाम क्या है बसंती? ||बसन्ति किं तव नामधेयम् ? १३......होली क...

शाम को नहीं करना चाहिए ये 7 काम, इन्हें माना जाता है गरीबी बढ़ाने वाला

  हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने के लिए समय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। फिर वो समय चाहे शादी का हो पूजन हो या अन्य किसी काम का। शास्त्रों में बताया गया है कि हर काम को यदि उचित समय पर किया जाए तो उसके बेहतर परिणाम मिलते हैं। यदि अपने जीवन को हमेशा खुशहाल और समृद्धि से परिपूर्ण रखना चाहते हैं तो यहां बताए जा रहे हैं कुछ कामों को शाम के समय कभी न करें। शाम को जब मंदिर में व अन्य धार्मिक स्थल पर भगवान की आराधना की जाती है। उस समय कुछ कार्यो को करना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इन कामों को शाम के समय करने से घर में हमेशा दरिद्रता रहती है। आमदनी अधिक होने पर भी पैसा नहीं टिकता है। आइए जानते हैं कौन से है वो काम जिन्हें सूर्यास्त के समय करना निषेध माना गया है। 1. सोना नही चाहिए-   सूर्यास्त के समय किसी को भी लेटना या सोना नहीं चाहिए। इस समय को भगवान की आराधना और आरती आदि के लिए श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्र कहते हैं यदि आप बीमार नहीं है या कोई अन्य आवश्यक कारण नहीं है तो सूर्यास्त के समय नहीं सोना चाहिए। इस समय सोने से लक्ष्मी नाराज होती हैं और व्यक्ति बीमार और स...