विदुर एक नीतिज्ञ के रूप में विख्यात हैं। वे महाभारत का एक जाना माना चरित्र हैं,
उन्हें कौरवों और पांडवों के काका व पाण्डु के भाई के रूप में भी जाना जाता है। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर धृतराष्ट्र के मन्त्री, लेकिन न्यायप्रियता के कारण पाण्डवों के हितैषी थे। विदुर के ही प्रयत्नों से पाण्डव लाक्षागृह में जलने से बचे थे। युद्ध को रोकने के लिए विदुर ने यत्न किए, लेकिन असफल रहे। इनकी प्रसिद्ध रचना विदुर नीति के अन्तर्गत नीति सिद्धान्तों का सुन्दर निरूपण हुआ है। आज हम आपको बता रहे हैं धर्मराज कहे जाने वाले विदुर की कुछ खास नीतियां जो किसी को भी ताकतवर बना सकती हैं।
विदुर नीति के मुताबिक-
बलं पंचविधं नित्यं पुरुषाणां निबोध मे।
यत्तु बाहुबलं नाम कनिष्ठं बलमुच्यते।।
यत्तु बाहुबलं नाम कनिष्ठं बलमुच्यते।।
इस श्लोक के मुताबिक इंसान के लिए जरूरी पहली शक्ति बाहुबल होती है। जानिए इसका अर्थ-
बाहुबल- शारीरिक ताकत यानी शरीर हष्टपुष्ट और स्वस्थ रखना। इसे कनिष्ठ बल भी कहा गया है। हर रोज योग या कसरत के उपायों से शरीर व मन को तंदुरुस्त रखें।
अमात्यलाभो भद्रं ते द्वितीयं बलमुच्यते।
तृतीयं धनलाभं तु बलमहुर्मनीषिण:।।
तृतीयं धनलाभं तु बलमहुर्मनीषिण:।।
अर्थ है इंसान के लिए दूसरी व तीसरी अहम ताकत राजबल व धनबल होते हैं। जानिए इनके व्यावहारिक अर्थ-
राज्य बल- इसके तहत किसी शासक या मंत्री से मिलना या सहयोग भी बल माना गया है। इसे आधुनिक संदर्भ में समझें तो शासन में रुतबेदार व्यक्ति की पहचान या सहयोग भी इंसान को ताकत देती है। इसके लिए व्यवहारकुशल बनें।
धन बल- इंसान के जीवन के लिए धन भी शक्ति है, जिसके बिना जरूरतों, जिम्मेदारियों को पूरा करना कठिन हो जाता है किंतु धनवान होने पर इंसान के लिये यही काम आसान हो सकते हैं। धन बटोरने के लिए काम को छोटा या बड़ा सोचने में वक्त न बिगाड़ें बल्कि काबिलियत पर भरोसा कर आगे बढ़ें।
विदुर नीति के मुताबिक-
यत्वस्य सहजं राजन् पितृपैतामहं बलम्।
अभिजातबलं नाम तच्चतुर्थं बलं स्मृतम्।
अभिजातबलं नाम तच्चतुर्थं बलं स्मृतम्।
इसका सरल अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति की नैसर्गिक शक्ति उसके कुटुंब में समाई होती है। जानिए इसका व्यावहारिक अर्थ क्या है-
कुटुम्ब बल- प्रतिष्ठित कुल या कुटुंब का होना भी इंसान की शक्ति होती है, जिसके द्वारा वह मान-सम्मान और यश पाता है। यह इंसान का स्वाभाविक या अभिजात बल कहा जाता है। इसके लिए हर इंसान चरित्र व आचरण को पवित्र बनाए रखे, परिजनों से मेलजोल, संवाद व सहयोग कर विश्वास और प्रेम कायम रखे, जिससे अच्छे संस्कार व जीवन मूल्य अगली पीढिय़ों तक पहुंचते रहे।
येन त्वेतानि सर्वाणि संगृहीतानि भारत।
यद् बलानां बलं श्रेष्ठ तत् प्रज्ञाबलमुच्यते।।
यद् बलानां बलं श्रेष्ठ तत् प्रज्ञाबलमुच्यते।।
महात्मा विदुर की बताई इस बात का मतलब है कि इन सभी शक्तियों को पाने के लिए बुद्धि बल बेहद जरूरी है। जानिए इसकी अहमियत व बुद्धिमान बनने के क्या उपाय अपना सकते हैं-
बुद्धि बल- यह बल सभी बलों में श्रेष्ठ और अहम माना गया है। बुद्धि के अभाव में शरीर, राज्य, कुटुंब या धन से सक्षमता भी बेमानी हो जाती हैं। बुद्धि ही ऐसी ताकत है, जिससे हर कठिन हालात पर काबू और लक्ष्य को पाया जा सकता है। इसके लिए ज्ञान और अनुभव को बढ़ाते रहें।
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