हैरानी की बात है कि लोग 'मैं नहीं जानता’ ये तीन शब्द बोलने से घबराते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से लोग उन्हें अज्ञानी मान लेंगे। वह यह नहीं समझ पाते कि किसी एक विषय पर अनभिज्ञता स्वीकार न करके अपनी पूरी जानकारी को ही संदेह के दायरे में ला रहे हैं।
कुछ ही माह के बाद अप्रैल का महीन आ जाएगा...। प्रोफेशनल लोगों के लिए यह वक्त मूल्यांकन और आत्मावलोकन का होता है। समीक्षा का होता है। पीछे मुड़कर यह देखने का होता है कि हमने करियर की शुरुआत कहां से की थी। अब कहां हैं और भविष्य में कहां हो सकते हैं। हर प्रोफेशनल व्यक्ति इस दौर से गुजरता है। हालांकि, हैरान करने वाली हकीकत यह है कि समान पृष्ठभूमि और क्षमता के साथ शुरुआत करने के बावजूद कुछ सालों बाद एक व्यक्ति शीर्ष और दूसरा निचले पायदान पर रह जाता है।
वे व्यक्ति जो अपनी क्षमताओं का कभी-कभी उपयोग करते हैं, वे शीर्ष पर नहीं पहुंचते। जो व्यक्ति शीर्ष पर पहुंचते हैं वे अपनी क्षमताओं के साथ दूसरी खूबियों को भी मिला देते हैं, जैसे-यह जानना कि लोग उसके काम को कैसे आंकते रहे हैं और कॉरपोरेट जगत कैसे काम करता है। ऐसे व्यक्ति सिर्फ अपने काम को बखूबी अंजाम नहीं देते, बल्कि वे अपने विचारों को कंपनी में और कंपनी के बाहर प्रभावशाली अंदाज में बेचना भी जानते हैं।
उबाऊ और थकान का अहसास:
यदि आप ऊब गए हैं तो यह आपकी गलती है। तब आप अपने काम में इतनी मेहनत नहीं कर रहे हैं कि वह दिलचस्प बना रहे। शायद यही वजह हो सकती है कि आपको और बेहतर जिम्मेदारी का प्रस्ताव नहीं मिला। सोचिए कि आपको क्या पसंद है, इसे दूसरों को भी बताइए। यकीन मानिए कि आपको कामयाबी मिलेगी।
जब आप अपने काम को बहुत अच्छी तरह से जान जाते हैं तो इससे ऊबने लगते हैं। काम को बखूबी जानने से आपका कुछ नया सीखना बंद हो जाता है और आप प्रोफेशनली निष्क्रियता की अवस्था में पहुंच जाते हैं। इसलिए अपने काम में बदलाव करते रहें, नया लक्ष्य तय करें, खुद के लिए लगातार नई चुनौतियां तय करें। लक्ष्य हासिल कर रुकें नहीं। इसे अगले महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करें। महत्वाकांक्षी लक्ष्य वे हैं, जो नजर नहीं आते, लेकिन दिमाग में बने रहते हैं।
नियमित काम के अलावा भी जिम्मेदारी लें:
क्या आपने कभी कोई ऐसा काम हाथ में लिया है, जो आपके जॉब डिफिनेशन के मुताबिक न रहा हो? अक्सर ऐसे प्रोजेक्ट आपको ज्यादा ख्याति और पहचान दिलाते हैं, जो आपके नियमित काम से हटकर होते हैं। इसलिए नए काम जिम्मेदारियां हासिल करें और ये आपको शीर्ष तक ले जाएंगे।
दूसरों की मदद कर अपना काम आसान बनाएं:
जब आपको किसी दूसरे विभाग से मदद की जरूरत हो तो अपने आप से पूछें, 'मैं उनका यह काम कैसे आसान बना सकता हूं?’ यदि आपको किसी विभाग से कोई समस्या है तो यह जान लीजिए कि उन्हें आपसे पहले इसकी जानकारी होगी। दूसरे विभाग के लोगों को यह अहसास कराइए कि आप उनके साथ काम करते हैं, बजाय इसके कि आप ऐसा व्यवहार करें कि वे आपके लिए काम करते हैं। ऐसा करने से आपको जब भी दूसरे विभाग से मदद की दरकार होगी, वे इसके लिए तैयार रहेंगे।
यह भी जरूर जान लें कि यदि आप दूसरों की छोटी-मोटी गलतियों को बेवजह ज्यादा तरजीह देते हैं तो आप अपनी साख तेजी से गंवाएंगे। कंपनी में हमारा प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि हम कम से कम समय या मौके पर अपनी क्षमता का अधिकाधिक इस्तेमाल कैसे और कहां करते हैं ताकि अपने और दूसरे विभाग का काम आसान हो जाए।
सहकर्मियों को साथी मानें, प्रतिद्वंद्वी नहीं:
अपने सहकर्मियों से साथियों की तरह व्यवहार करें न कि प्रतिद्वंद्वियों की तरह। उनसे अच्छे संबंध बनाएं। ऑफिस और इसके बाहर भी दोस्ती रखें। आगे बढऩे का सबसे अच्छा तरीका यह है कि सबके साथ चलें।
बॉस से बहस न करें, मिलकर चलें:
अपने बॉस से कभी भी बेवहज बहस न करें और न ही उसकी क्षमताओं पर सवाल उठाएं। आपकी योग्यता इसमें है कि आप अपने बॉस से सर्वश्रेष्ठ सहयोग प्राप्त करें और बाकी चिंता छोड़ दें। यह आपके विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। आपको वह तरीका भी ढूंढऩा चाहिए कि निर्णय प्रक्रिया में शामिल लोग आपकी खूबियों को जान सकें। लेकिन ऐसा करते वक्त किसी गलतफहमी की गुंजाइश न रखें। ऐसा हुआ तो आपके साथियों या वरिष्ठों को आपका दुश्मन बनने में देर नहीं लगेगी। इसकी बजाय अपने बॉस का भरोसा जीतें। उनका काम प्राथमिकता से करें और उन्हें अपने काम की जानकारी देते रहें।
ये वाक्यांश रहेंगे फायदेमंद:
मैं नहीं जानता: हैरानी की बात है कि लोग यह वाक्य नहीं बोलना चाहते। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से लोग उन्हें अज्ञानी मान लेंगे। वे यह नहीं समझ पाते कि किसी एक विषय पर अनभिज्ञता स्वीकार न करके अपनी पूरी जानकारी को ही संदेह के दायरे में ला रहे होते हैं।
मैं गलत था: यदि हम गलतियां नहीं कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि हम उतना कठिन प्रयास नहीं कर रहे जितना करना चाहिए। आगे बढऩे के लिए आपको अपनी हदों को लगाातार चुनौती देनी होगी। 'मैं गलत थाÓ, अगर आपमें यह स्वीकारने की क्षमता है तो यह गलतियों को पीछे छोड़कर आपके लिए नई कामयाबी का रास्ता बनाएगी।
मुझे मदद चाहिए: मदद मांगना, कुछ नया सीखने, ज्ञान बढ़ाने और विशेषज्ञता हासिल करने का तरीका है, जिससे कंपनी में आपकी अहमियत बढ़ती है। इससे दूसरों के साथ काम करने की आपकी इच्छा भी प्रदर्शित होती है।
क्या आपको मदद चाहिए: यदि आपसे कोई मदद मांगे तो इसके लिए सहर्ष तैयार रहें। जो लोग अपना ज्ञान, संपर्क और काम को आसान करने वाले तरीके अपने ही सहकर्मियों से बांटने को इच्छुक नहीं होते, उनको जरूरत पडऩे पर कोई समर्थन या सहयोग भी नहीं मिलता हैं।
आगे कैसे बढ़ें, इसका जवाब साधारण और विशिष्ट व्यक्तियों के बीच अंतर में छुपा है। अमूमन, दोनों के इरादों में कोई फर्क नहीं होता है। यह अंतर तो इरादों को परिणाम में बदलने की क्षमता का होता है। उस जुनून का होता है, जो उन्हें परिणाम के लिए प्रेरित करता है। तो आइए आगे बढ़ें।
महात्रया रा-
महात्रया रा आध्यात्मिक गुरु हैं। वे देश-विदेश में अपने आध्यात्मिक व्याख्यानों के माध्यम से लोगों को सेल्फ रियलाइजेशन के लिए मार्गदर्शित करते हैं। उनके प्रभावी संदेश व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करके जीवन की दिशा बदल देते हैं। उनके व्याख्यान सुनकर कई प्रसिद्ध हस्तियां, बिजनेसमैन, स्पोटर्सपर्सन और स्टूडेंट़स अपनी आंतरिक ऊर्जा की मदद से नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। महात्रया रा जीवन जीने का एक नया रास्ता बताते हैं – ‘इंफीनीथीज्म’, जिसके माध्यम से मनुष्य को अपनी असीम क्षमता का अहसास हो सकता है।
महात्रया रा आध्यात्मिक गुरु हैं। वे देश-विदेश में अपने आध्यात्मिक व्याख्यानों के माध्यम से लोगों को सेल्फ रियलाइजेशन के लिए मार्गदर्शित करते हैं। उनके प्रभावी संदेश व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करके जीवन की दिशा बदल देते हैं। उनके व्याख्यान सुनकर कई प्रसिद्ध हस्तियां, बिजनेसमैन, स्पोटर्सपर्सन और स्टूडेंट़स अपनी आंतरिक ऊर्जा की मदद से नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। महात्रया रा जीवन जीने का एक नया रास्ता बताते हैं – ‘इंफीनीथीज्म’, जिसके माध्यम से मनुष्य को अपनी असीम क्षमता का अहसास हो सकता है।
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