1948 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री एटली
ने भी यह स्वीकारा कि भारत से ब्रिटेन के हटने
की वजह गांधी नहीं, सुभाष चंद्र बोस थे.
जिनकी वजह से ब्रिटिश नौ सेना में मौजूद
भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था।
ब्रिटिश सेनामें मौजूद 25 लाख भारतीय सैनिक
सुभाष चंद्र बोस के 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें
आजादी दूंगा'' के आहवान पर अपनी जानकी
बाजी लगाने को तैयार थे।
"जर्नल G.D Bakshi",को सुने
Watch "Major General (Retd) GD Bakshi's Speech on YouTube -https://www.youtube.com/watch…
(43:00मिनट का है 27वे मिनट से 32 वे मिनट
के बिच)और
"राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल"को सुने
......https://www.youtube.com/watch?v=SKpl7v_c-Qo
आप लोगों ने कभी यह सोचा कि आखिर क्या
वजह थी कि सुभाष चंद्रबोस को इतिहास से
गायब कर दिया गया??
नेहरू-गांधी-ब्रिटिशकी तिकड़ी ने
देश को सही मायने में आजादी दिलाने वाले इस
सच्चे देशभक्त को हमारी नजर से ओझल कर
दिया। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में जब
सुभाष के खिलाफ गांधी ने पटटाभिसितारमैया
को खड़ा किया, उसी वक्त स्पष्ट हो गया कि
आजादी पाने का यह दो रास्ता है।
सुभाष अध्यक्ष पद पर जीत कर यह स्थापित
करने में कामयाब रहे कि उनका रास्ता ही
सर्वमान्य रास्ता है. लेकिन तथाकथित अहिंसक
गांधी के अहंकार को इस लोकतांत्रिक निर्णय से
जबरदस्त धक्का लगा था। केवल गांधी के
अहंकार को शांत करने के लिए सुभाष ने
अध्यक्ष पद छोड़ा.....सही मायने में सुभाष चंद्र
बोस की अध्यक्ष पद पर जीत हो या फिर बाद में
सरदार पटेल की जीत. दोनों बार गांधी ने
लोकतंत्र का गला दबाया-. पहली बार सुभाष
को हराने के लिए सर्वसम्मति का रास्ता त्याग
कर और दूसरी बार नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने
के लिए....यह सुभाष का भय था जिसके कारण
गांधी को 1942 में अंग्रेजों भारत छोडो का नारा
देना पडा था और वह आंदोलन भी पूरी तरह से फलॉप हुआ था। सोच कर देखिए न कि यदि
गांधी का वह आंदोलन सफल रहता तो अंग्रेजी
उसी साल भारत से विदा हो जाते न कि पांच
साल तक इंतजार करते रहते। द्वितीय विश्व युद्ध
में भारत के अंदर सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश की
दुर्गति कर दी थी। यदि कुछ समय ब्रिटिश और
रुक जाते तो भारतीय सैनिकों के हाथों अंग्रेजों
का पराजित होना निश्चित था और इसी पराजय
को ट़ालने के लिए गांधी-नेहरू का उपयोग
सुभाष चंद्र बोस के खिलाफ किया गया......
गांधी या सुभाष?? यह दो चुनाव है।
मेरे लिए सुभाष बड़े थे, जिनमें साहसिक निर्णय
लेने की क्षमता थी, न कि गांधी, जो नोआखाली
में हिंदुओं के नरसंहार के बीच भी अपनी पौत्री
मनु गांधी के साथ नग्न सोकर ब्रहमचर्य की
साधना कर रहे थे। मनोविज्ञान का साधारण
छात्र भी बता देगा कि महात्मा गांधी हिंसक,
लोाकतंत्र विरोधी, यौन रूप से कुंठित और
महान अहंकारी थे......
ने भी यह स्वीकारा कि भारत से ब्रिटेन के हटने
की वजह गांधी नहीं, सुभाष चंद्र बोस थे.
जिनकी वजह से ब्रिटिश नौ सेना में मौजूद
भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था।
ब्रिटिश सेनामें मौजूद 25 लाख भारतीय सैनिक
सुभाष चंद्र बोस के 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें
आजादी दूंगा'' के आहवान पर अपनी जानकी
बाजी लगाने को तैयार थे।
"जर्नल G.D Bakshi",को सुने
Watch "Major General (Retd) GD Bakshi's Speech on YouTube -https://www.youtube.com/watch…
(43:00मिनट का है 27वे मिनट से 32 वे मिनट
के बिच)और
"राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल"को सुने
......https://www.youtube.com/watch?v=SKpl7v_c-Qo
आप लोगों ने कभी यह सोचा कि आखिर क्या
वजह थी कि सुभाष चंद्रबोस को इतिहास से
गायब कर दिया गया??
नेहरू-गांधी-ब्रिटिशकी तिकड़ी ने
देश को सही मायने में आजादी दिलाने वाले इस
सच्चे देशभक्त को हमारी नजर से ओझल कर
दिया। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में जब
सुभाष के खिलाफ गांधी ने पटटाभिसितारमैया
को खड़ा किया, उसी वक्त स्पष्ट हो गया कि
आजादी पाने का यह दो रास्ता है।
सुभाष अध्यक्ष पद पर जीत कर यह स्थापित
करने में कामयाब रहे कि उनका रास्ता ही
सर्वमान्य रास्ता है. लेकिन तथाकथित अहिंसक
गांधी के अहंकार को इस लोकतांत्रिक निर्णय से
जबरदस्त धक्का लगा था। केवल गांधी के
अहंकार को शांत करने के लिए सुभाष ने
अध्यक्ष पद छोड़ा.....सही मायने में सुभाष चंद्र
बोस की अध्यक्ष पद पर जीत हो या फिर बाद में
सरदार पटेल की जीत. दोनों बार गांधी ने
लोकतंत्र का गला दबाया-. पहली बार सुभाष
को हराने के लिए सर्वसम्मति का रास्ता त्याग
कर और दूसरी बार नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने
के लिए....यह सुभाष का भय था जिसके कारण
गांधी को 1942 में अंग्रेजों भारत छोडो का नारा
देना पडा था और वह आंदोलन भी पूरी तरह से फलॉप हुआ था। सोच कर देखिए न कि यदि
गांधी का वह आंदोलन सफल रहता तो अंग्रेजी
उसी साल भारत से विदा हो जाते न कि पांच
साल तक इंतजार करते रहते। द्वितीय विश्व युद्ध
में भारत के अंदर सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश की
दुर्गति कर दी थी। यदि कुछ समय ब्रिटिश और
रुक जाते तो भारतीय सैनिकों के हाथों अंग्रेजों
का पराजित होना निश्चित था और इसी पराजय
को ट़ालने के लिए गांधी-नेहरू का उपयोग
सुभाष चंद्र बोस के खिलाफ किया गया......
गांधी या सुभाष?? यह दो चुनाव है।
मेरे लिए सुभाष बड़े थे, जिनमें साहसिक निर्णय
लेने की क्षमता थी, न कि गांधी, जो नोआखाली
में हिंदुओं के नरसंहार के बीच भी अपनी पौत्री
मनु गांधी के साथ नग्न सोकर ब्रहमचर्य की
साधना कर रहे थे। मनोविज्ञान का साधारण
छात्र भी बता देगा कि महात्मा गांधी हिंसक,
लोाकतंत्र विरोधी, यौन रूप से कुंठित और
महान अहंकारी थे......
Comments
Post a Comment