दाऊद इब्राहीम तस्कर है या आतंकवादी ?
दो दिन पहले कोस्ट गार्ड के कमांडो ने समंदर में तस्कर मारे थे या आतंकवादी ?
इस घटना को किस चश्मे से देखें ?
धर्म निरपेक्षता के चश्मे से या साम्प्रदायिकता के चश्मे से ?
इस पर अमित शाह की बात माने या अजय माकन की ?
इस मसले पर इंडियन एक्सप्रेस की खबर पढ़े या इंडिया टीवी को सुने ?
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ये हाल है उस देश का जहाँ इतिहास के दो सबसे बड़े आतंकी हमले समंदर के रास्ते से किये गये हैं. 1993 के मुंबई सीरियल धमाकों में गोला बारूद कराची से समंदर के रास्ते नाव पर लाया गया था. इन धमाकों में हमारे देश के 350 लोग मारे गये और 1200 घायल हुए. 2008 में फिर मुंबई में आतंकी हमला हुआ जिसमे 164 लोग मारे गये और 308 घायल हुए.इस हमले में भी गोला बारूद कराची से समंदर के रास्ते आया था. आतंक के इसी रास्ते पर कोस्ट गार्ड को दो दिन पहले एक संदिग्ध नाव दिखी थी जिसके इंटरसेप्ट ख़ुफ़िया एजेंसियों ने पकडे थे. क्या उस नाव को रोकना चाहिय था ?
सच ये है कि मुंबई धमाकों के 21 साल बाद ...पहली बार देश की तटीय सीमा में घुसपैठ करती एक संदिग्ध नाव को कोस्ट गार्ड के जवानो ने चुनौती दी. पहली बार कोस्ट गार्ड ने कोई ऑपरेशन किया. पहली बार कोई दीलेरी देखने को मिली.
अब उस नाव में दाऊद इब्राहीम सवार था या हाफिज सईद या पेट्रोल के तस्कर...इसका मतलब क्या है ? अब इस घटना को भी क्या वोट बैंक बनाया जायेगा ?
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अगर नाव में आतंकी की जगह पाकिस्तानी तस्कर थे तो क्या उन्हें घुसपैठ की इज़ाज़त देनी चाहिए ? तस्करों को आने दे ? वो मेहमान है ? अतिथि देवो भवा.
मित्रों, मेरा सवाल बस इतना है कि रात में अगर आपके घर आतंकवादियों की जगह तस्कर आ गये तो क्या आप दरवाज़ा खोल देंगे ?
दो दिन पहले कोस्ट गार्ड के कमांडो ने समंदर में तस्कर मारे थे या आतंकवादी ?
इस घटना को किस चश्मे से देखें ?
धर्म निरपेक्षता के चश्मे से या साम्प्रदायिकता के चश्मे से ?
इस पर अमित शाह की बात माने या अजय माकन की ?
इस मसले पर इंडियन एक्सप्रेस की खबर पढ़े या इंडिया टीवी को सुने ?
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ये हाल है उस देश का जहाँ इतिहास के दो सबसे बड़े आतंकी हमले समंदर के रास्ते से किये गये हैं. 1993 के मुंबई सीरियल धमाकों में गोला बारूद कराची से समंदर के रास्ते नाव पर लाया गया था. इन धमाकों में हमारे देश के 350 लोग मारे गये और 1200 घायल हुए. 2008 में फिर मुंबई में आतंकी हमला हुआ जिसमे 164 लोग मारे गये और 308 घायल हुए.इस हमले में भी गोला बारूद कराची से समंदर के रास्ते आया था. आतंक के इसी रास्ते पर कोस्ट गार्ड को दो दिन पहले एक संदिग्ध नाव दिखी थी जिसके इंटरसेप्ट ख़ुफ़िया एजेंसियों ने पकडे थे. क्या उस नाव को रोकना चाहिय था ?
सच ये है कि मुंबई धमाकों के 21 साल बाद ...पहली बार देश की तटीय सीमा में घुसपैठ करती एक संदिग्ध नाव को कोस्ट गार्ड के जवानो ने चुनौती दी. पहली बार कोस्ट गार्ड ने कोई ऑपरेशन किया. पहली बार कोई दीलेरी देखने को मिली.
अब उस नाव में दाऊद इब्राहीम सवार था या हाफिज सईद या पेट्रोल के तस्कर...इसका मतलब क्या है ? अब इस घटना को भी क्या वोट बैंक बनाया जायेगा ?
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अगर नाव में आतंकी की जगह पाकिस्तानी तस्कर थे तो क्या उन्हें घुसपैठ की इज़ाज़त देनी चाहिए ? तस्करों को आने दे ? वो मेहमान है ? अतिथि देवो भवा.
मित्रों, मेरा सवाल बस इतना है कि रात में अगर आपके घर आतंकवादियों की जगह तस्कर आ गये तो क्या आप दरवाज़ा खोल देंगे ?
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