दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में "वसुदैव कुटुंबकम" की धारणा हमारे ग्रंथों में बताई गयी है। मुस्लिम धर्म में भी प्रेम और भाई चारे का पथ पढ़ाया जाता है। फिर क्यों रामायण पर बात करने वाले मिल जाते हैं ? कुरान-ए-शरीफ, शरीयत पर बात करने वाला कोई नहीं मिलता ? हमने क्यों बाबर, अकबर, औरंगजेब को याद रखा और दाराशिकोह को भुला दिया ?
हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि औरंगजेब, बाबर आतातायी थे, इन्होने मंदिर तोड़े, जबरन धर्म परिवर्तन करवाए, बलात्कार किये फिर क्यों दिल्ली में औरंगजेब रोड है, अकबर रोड है, बाबर रोड है पर दाराशिकोह रोड नहीं है ? क्यूंकि इन्होने तमाम धर्म ग्रंथों का दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया ?
क्यों राम जन्म भूमि पर चर्चा होती है क्या कभी किसी ने मुहम्मद साहब की कब्र पर चर्चा की है या कोई बताएगा की उनकी कब्र कहाँ है?
शायद अपने आपको धर्मनिरपेक्ष दिखाने के लिए क्यूंकि हिन्दुस्तान में किसी को खुश करने के लिए जो बोला जाये उसे हमने नाम दे दिया धर्मनिरपेक्षता। आप झूट बोलिये सच को छुपाओ और नाम दे दो धर्मनिरपेक्षता। कोई बताएगा दाराशिकोह रोड दिल्ली में क्यों नहीं है ? क्या उन्होंने मुस्लिम होते हुए हिन्दू धर्म का अध्द्ययन किया ?
इस देश का दुर्भाग्य है कि एकतरफा, एक सोच के लोगों ने इतिहास को लिखा है और बच्चे बच्चे के दिमाग में इस सोच को डाल दिया है।
ताजमहल पर भी विवाद हो रहा है तो क्यों नहीं इस विवाद को ख़तम करने का प्रयास किया जा रहा है।
क्यों रोमिला थापर , आर. एस. शर्मा, इक़बाल हबीब की लिखी हुई इतिहास पर यकीन कर लिया? क्यों ओक साहब को भूल गए ?
क्या वजह कि हम फलीस्तीन पर जब इज़रायल बम बरसाता है तो हम जाग जाते हैं और यहाँ हिन्दुस्तान में आंदोलन करते हैं और वही आंदोलन करने वाले कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर चुप हो जाते हैं।
क्या वजह है कि हम रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए एक हो जाते हैं जिनका हमसे कोई वास्ता नहीं और जो हमारे अपने देशवासी हैं कश्मीरी पंडित उनके लिए चुप हैं ?
क्या वजह है जब किसी एनकाउंटर में कोई आतंकी मारा जाता है हम मानवाधिकार की बात करते हैं और वही आतंकी जब पकिस्तान में 135 बच्चों मार देते हैं तो चुप हो जाते हैं ? क्यों चुप हो जाते हैं जब पकिस्तान फ़ौज कराची के अंदर 27000 लोगो को मार देती है ? क्या वो मुस्लिम नहीं थे ?
ये देश किधर जा रहा है ?
दोस्तों, हमारे देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, यहूदी आदि धर्मों को मानने वाले रहते हैं। जिनमे भगवान ने कोई बनाने में कोई फ़र्क़ नहीं किया। जिनका रहन सहन , चाल चलन लगभग एक जैसा है। फिर क्यों हम लोगो ने अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में इनको बाँट रखा है ?
मैं यहाँ किसी एक धर्म या समुदाय के बारे में बात नहीं करना चाहता, लेकिन जब अपने आस पास घटना घटते हुए देखता हूँ या सुनता हूँ तो दुःख होता है।
दुःख होता है जब हम कलाम जी की बात नहीं करते और औरंगजेब रोड जरूर बना देंगे।
ऐसा क्यों ?
क्यूंकि हमारा मुस्लिम भाई चुप है और चंद लोगों के बहकावे में है जिस दिन अपनी आँखे खोलेगा उस दिन ऐसे मौकापरस्त लोगों की राजनीती ख़त्म हो जाएगी। जिस दिन मुस्लिम भाई ये सोचने लगेगा कि ये देश उनका भी है उस दिन सारा झगड़ा ही ख़त्म हो जायेगा। हमें औरंगजेब को भूलना पड़ेगा और दाराशिकोह को याद रखना पड़ेगा। हमें आजम खान और ओवैसी जैसे लोगों का साथ छोड़ना पड़ेगा और फैज़ खान, कलाम जैसे लोगों का अनुसरण करना पड़ेगा।
हिन्दुओं को भी प्रेम दिखाना होगा।
जिस दिन मेरे देश में हिन्दू मुस्लिम एकता होगी उस दिन मेरा देश फिर से सोनेki चिड़िया होगा।
हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि औरंगजेब, बाबर आतातायी थे, इन्होने मंदिर तोड़े, जबरन धर्म परिवर्तन करवाए, बलात्कार किये फिर क्यों दिल्ली में औरंगजेब रोड है, अकबर रोड है, बाबर रोड है पर दाराशिकोह रोड नहीं है ? क्यूंकि इन्होने तमाम धर्म ग्रंथों का दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया ?
क्यों राम जन्म भूमि पर चर्चा होती है क्या कभी किसी ने मुहम्मद साहब की कब्र पर चर्चा की है या कोई बताएगा की उनकी कब्र कहाँ है?
शायद अपने आपको धर्मनिरपेक्ष दिखाने के लिए क्यूंकि हिन्दुस्तान में किसी को खुश करने के लिए जो बोला जाये उसे हमने नाम दे दिया धर्मनिरपेक्षता। आप झूट बोलिये सच को छुपाओ और नाम दे दो धर्मनिरपेक्षता। कोई बताएगा दाराशिकोह रोड दिल्ली में क्यों नहीं है ? क्या उन्होंने मुस्लिम होते हुए हिन्दू धर्म का अध्द्ययन किया ?
इस देश का दुर्भाग्य है कि एकतरफा, एक सोच के लोगों ने इतिहास को लिखा है और बच्चे बच्चे के दिमाग में इस सोच को डाल दिया है।
ताजमहल पर भी विवाद हो रहा है तो क्यों नहीं इस विवाद को ख़तम करने का प्रयास किया जा रहा है।
क्यों रोमिला थापर , आर. एस. शर्मा, इक़बाल हबीब की लिखी हुई इतिहास पर यकीन कर लिया? क्यों ओक साहब को भूल गए ?
क्या वजह कि हम फलीस्तीन पर जब इज़रायल बम बरसाता है तो हम जाग जाते हैं और यहाँ हिन्दुस्तान में आंदोलन करते हैं और वही आंदोलन करने वाले कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर चुप हो जाते हैं।
क्या वजह है कि हम रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए एक हो जाते हैं जिनका हमसे कोई वास्ता नहीं और जो हमारे अपने देशवासी हैं कश्मीरी पंडित उनके लिए चुप हैं ?
क्या वजह है जब किसी एनकाउंटर में कोई आतंकी मारा जाता है हम मानवाधिकार की बात करते हैं और वही आतंकी जब पकिस्तान में 135 बच्चों मार देते हैं तो चुप हो जाते हैं ? क्यों चुप हो जाते हैं जब पकिस्तान फ़ौज कराची के अंदर 27000 लोगो को मार देती है ? क्या वो मुस्लिम नहीं थे ?
ये देश किधर जा रहा है ?
दोस्तों, हमारे देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, यहूदी आदि धर्मों को मानने वाले रहते हैं। जिनमे भगवान ने कोई बनाने में कोई फ़र्क़ नहीं किया। जिनका रहन सहन , चाल चलन लगभग एक जैसा है। फिर क्यों हम लोगो ने अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में इनको बाँट रखा है ?
मैं यहाँ किसी एक धर्म या समुदाय के बारे में बात नहीं करना चाहता, लेकिन जब अपने आस पास घटना घटते हुए देखता हूँ या सुनता हूँ तो दुःख होता है।
दुःख होता है जब हम कलाम जी की बात नहीं करते और औरंगजेब रोड जरूर बना देंगे।
ऐसा क्यों ?
क्यूंकि हमारा मुस्लिम भाई चुप है और चंद लोगों के बहकावे में है जिस दिन अपनी आँखे खोलेगा उस दिन ऐसे मौकापरस्त लोगों की राजनीती ख़त्म हो जाएगी। जिस दिन मुस्लिम भाई ये सोचने लगेगा कि ये देश उनका भी है उस दिन सारा झगड़ा ही ख़त्म हो जायेगा। हमें औरंगजेब को भूलना पड़ेगा और दाराशिकोह को याद रखना पड़ेगा। हमें आजम खान और ओवैसी जैसे लोगों का साथ छोड़ना पड़ेगा और फैज़ खान, कलाम जैसे लोगों का अनुसरण करना पड़ेगा।
हिन्दुओं को भी प्रेम दिखाना होगा।
जिस दिन मेरे देश में हिन्दू मुस्लिम एकता होगी उस दिन मेरा देश फिर से सोनेki चिड़िया होगा।
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