मित्रो, पिछले कुछ समय से एक ट्रेंड सा चल निकला है कि कुछ लोग अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. जैसे अशहिषुणता, गोकशी, बीफ आदि मुद्दे, जो बहुत चर्चा में रहे और लोगो ने इन्हें भुनाने की पूरी कोशिश की. हम इसे छोड़ देते हैं ये सब भूतकाल की बात सोचकर भुला देते हैं. परन्तु अब जो जवाहर लाल विश्व विद्यालय का प्रकरण है इसने तो अंदर से हिलाकर रख दिया है हर भारतवासी को, सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं हमारे माननीय नेता? हम सबकी सोच अलग हो सकती है परन्तु हम अपनी सीमा का ज्ञान तो रखेंगे ही? हम अपनी माँ को माँ ही कहेंगे? JNU में जो कुछ किया तथाकथित छात्रों ने वो एक अपराध है ये सब जानते हैं परन्तु हमारे माननीय नेताओं ने जो किया उसे क्या कहें ? इन नेताओं में कोई नया नहीं था, कुछ तो ऐसे थे जो वर्तमान में संवैधानिक पदो पर आसीन हैं और कुछ अपने आपको भविष्य का प्रधानमंत्री दिखाने में लगे हुए हैं.
चलो अब एक नजर JNU प्रकरण पर डालते हैं, वहां पर 9 फ़रवरी को अफजल गुरु की वरसी पर एक कार्यक्रम होता है बिना यूनिवर्सिटी प्रशाशन की अनुमति के और वहां पर देश विरोधी नारे लगाये जाते हैं जैसे:- अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिन्दा हैं, जंग रहेगी भारत की बर्बादी तक, आदि
अरे शर्म करो जिसका खाते हो उसी की बर्बादी।
और हमारे माननीय इसे अभिव्यक्ति की आजादी बता रहे थे अरे जब ये अभिव्यक्ति की आजादी है तो वो क्या है हमारे देश में आतंक फ़ैलाने के लिए हाफिज सईद जैसे आतंकवादी और पडोसी मुल्क पाकिस्तान करता है कुछ तो शर्म करो। क्या सुप्रीम कोर्ट के जज अफज़ल के kaatil थे ?
पूरे नौ साल लगे अफज़ल को फांसी लगने में, पूरी न्यायिक प्रक्रिया से होकर गुज़रा था। राष्ट्रपति तक ने अनुमति दी थी फांसी की, क्या हमारे महामहिम राष्ट्रपति भी उसके कातिल हैं ? और क्या वो मासूम था? वो आतंकवादी था और आतंकवादी खूंखार जानवर होते हैं और खूंखार जानवर को मरने पर पाप नहीं लगता.
JNU छात्र संघ का अध्य्क्ष कन्हैया भी वहां पर उपस्थित था इन नारों के बाद उसने लम्बा चोडा भाषण भी दिया। इस प्रकरण का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही की और कन्हैया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, इसके बाद धरने प्रदर्शन हुए और उन धरने प्रदरसनो में हमारे माननीय नेता शामिल हुए क्या इन्हें देश से ऊपर राजनीती करनी है या देश में. खैर, उस वक्त यह एक राजनितिक मुद्दा बन गया और एक देश द्रोही को हीरो बनाने में कोई कसर नही छोड़ी. अब में नेताओं से पूछना चाहता हूँ कि:
क्या ये देशद्रोह नहीं?
नेता बोलते थे कि कन्हैया गरीब है, इसलिए उसके साथ ये सब हो रहा है.
अरे भैया जो जमानत पर लाखो खर्च कर सकता है और जेल से बहार आने के लिए फ़ोर्तूनार् जैसी लक्जरी गाड़ी का इस्तेमाल करता हो अगर वो भी गरीब है तो आमिर कौन है?
जब उसके सामने देशविरोधी नारे लगाये जा रहे थे तो क्या उसका कर्तब्य नही था उन्हें रोकने का?
जेल से आने के बाद उसने जमानत शर्तों का उल्ल्घन किया भाषण वाजी करके, देश के सैनिकों का अपमान किया,
ये सब मै नही कह रहा ये तो यूनिवर्सिटी की उच्च स्तरीय चेंज कमिटी ने साबित की हैं, और उसे यूनिवर्सिटी से बहार निकलने की सिफारिश की है, तो क्या अब राहुल गांधी और अरविन्द केजरीवाल देश से माफ़ी मांगेगे ?
पता चला है की कुछ शिक्षक भी इन देशविरोधी वक्तव्यों में शामिल थे और इसे अपनी अभिव्यक्ति की आजादी बता रहे थे अरे भाई साहब ऐसा केवल तुम लोग भारत में ही बोल सकते हो अगर कहीं बहार रहे होते तो अब तक गोली मर दी गयी होती,
मित्रो उस देश का पतन निश्चित है जहाँ के शिक्षक का पतन हो गया।
कन्हैया ने सैनिको पर गलत टिप्पणी की उसे शर्म आनी चाहिए।
अरे कन्हैया आप २९ साल के होकर छात्र हो और छात्रवृति से पढ़ाई कर रहे हो, क्या तुम्हे पता है १९ साल का युवा कमाता है और खाता है और टैक्स देता है जो तुम जैसे निकम्मो की पढ़ाई के काम आता है।
दोस्तों, अगर इस तरह की हरकतों को रोक नही गया तो एक दिन बुरा परिणाम लेकर आएँगी, कोशिश करो कोई कन्हैया पैदा न हो. और इस कन्हैया को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाओ.
चलो अब एक नजर JNU प्रकरण पर डालते हैं, वहां पर 9 फ़रवरी को अफजल गुरु की वरसी पर एक कार्यक्रम होता है बिना यूनिवर्सिटी प्रशाशन की अनुमति के और वहां पर देश विरोधी नारे लगाये जाते हैं जैसे:- अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिन्दा हैं, जंग रहेगी भारत की बर्बादी तक, आदि
अरे शर्म करो जिसका खाते हो उसी की बर्बादी।
और हमारे माननीय इसे अभिव्यक्ति की आजादी बता रहे थे अरे जब ये अभिव्यक्ति की आजादी है तो वो क्या है हमारे देश में आतंक फ़ैलाने के लिए हाफिज सईद जैसे आतंकवादी और पडोसी मुल्क पाकिस्तान करता है कुछ तो शर्म करो। क्या सुप्रीम कोर्ट के जज अफज़ल के kaatil थे ?
पूरे नौ साल लगे अफज़ल को फांसी लगने में, पूरी न्यायिक प्रक्रिया से होकर गुज़रा था। राष्ट्रपति तक ने अनुमति दी थी फांसी की, क्या हमारे महामहिम राष्ट्रपति भी उसके कातिल हैं ? और क्या वो मासूम था? वो आतंकवादी था और आतंकवादी खूंखार जानवर होते हैं और खूंखार जानवर को मरने पर पाप नहीं लगता.
JNU छात्र संघ का अध्य्क्ष कन्हैया भी वहां पर उपस्थित था इन नारों के बाद उसने लम्बा चोडा भाषण भी दिया। इस प्रकरण का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही की और कन्हैया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, इसके बाद धरने प्रदर्शन हुए और उन धरने प्रदरसनो में हमारे माननीय नेता शामिल हुए क्या इन्हें देश से ऊपर राजनीती करनी है या देश में. खैर, उस वक्त यह एक राजनितिक मुद्दा बन गया और एक देश द्रोही को हीरो बनाने में कोई कसर नही छोड़ी. अब में नेताओं से पूछना चाहता हूँ कि:
क्या ये देशद्रोह नहीं?
नेता बोलते थे कि कन्हैया गरीब है, इसलिए उसके साथ ये सब हो रहा है.
अरे भैया जो जमानत पर लाखो खर्च कर सकता है और जेल से बहार आने के लिए फ़ोर्तूनार् जैसी लक्जरी गाड़ी का इस्तेमाल करता हो अगर वो भी गरीब है तो आमिर कौन है?
जब उसके सामने देशविरोधी नारे लगाये जा रहे थे तो क्या उसका कर्तब्य नही था उन्हें रोकने का?
जेल से आने के बाद उसने जमानत शर्तों का उल्ल्घन किया भाषण वाजी करके, देश के सैनिकों का अपमान किया,
ये सब मै नही कह रहा ये तो यूनिवर्सिटी की उच्च स्तरीय चेंज कमिटी ने साबित की हैं, और उसे यूनिवर्सिटी से बहार निकलने की सिफारिश की है, तो क्या अब राहुल गांधी और अरविन्द केजरीवाल देश से माफ़ी मांगेगे ?
पता चला है की कुछ शिक्षक भी इन देशविरोधी वक्तव्यों में शामिल थे और इसे अपनी अभिव्यक्ति की आजादी बता रहे थे अरे भाई साहब ऐसा केवल तुम लोग भारत में ही बोल सकते हो अगर कहीं बहार रहे होते तो अब तक गोली मर दी गयी होती,
मित्रो उस देश का पतन निश्चित है जहाँ के शिक्षक का पतन हो गया।
कन्हैया ने सैनिको पर गलत टिप्पणी की उसे शर्म आनी चाहिए।
अरे कन्हैया आप २९ साल के होकर छात्र हो और छात्रवृति से पढ़ाई कर रहे हो, क्या तुम्हे पता है १९ साल का युवा कमाता है और खाता है और टैक्स देता है जो तुम जैसे निकम्मो की पढ़ाई के काम आता है।
दोस्तों, अगर इस तरह की हरकतों को रोक नही गया तो एक दिन बुरा परिणाम लेकर आएँगी, कोशिश करो कोई कन्हैया पैदा न हो. और इस कन्हैया को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाओ.
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