सभी लोग सुख और धन, दोनों एक साथ प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन ये सभी को प्राप्त नहीं हो पाते हैं। कुछ लोग धन अभाव के कारण दुखी रहते हैं तो कुछ अपार संपदा होने के बाद भी सुख प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि जो लोग धनी हैं, वे सुखी भी हों। जबकि कई लोग धन हीन होने के बाद भी सुख का जीवन व्यतीत करते हैं। शास्त्रों में कुछ ऐसे काम बताए गए हैं जो व्यक्ति को सुख और धन, दोनों से दूर करते हैं। यहां जानिए नौ ऐसे काम जो व्यक्ति को दुखी और धन हीन बना सकते हैं... ये काम व्यक्ति के जीवन को भी संकट में डाल सकते हैं...
दूसरा काम- श्रेष्ठ और सुखी जीवन के लिए हमें बुरे स्वभाव वाले लोगों से दूर रहना चाहिए। दुष्ट स्वभाव के लोगों से किसी भी प्रकार का मेल-जोल भी दुख ही देता है। किसी भी दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्ति के साथ भोजन भी नहीं करना चाहिए।
- स्त्रियों के प्रति गलत विचार नहीं रखना चाहिए। जिन पुरुषों के विचार पवित्र नहीं होते हैं, वे देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त नहीं करते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस कर्म को भयंकर पाप माना गया है।
पहला काम- दिन के समय में स्त्री संग सहवास नहीं करना चाहिए। जो पुरुष इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं, वे कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं का सामना करते हैं और दुखी रहते हैं।
दूसरा काम- श्रेष्ठ और सुखी जीवन के लिए हमें बुरे स्वभाव वाले लोगों से दूर रहना चाहिए। दुष्ट स्वभाव के लोगों से किसी भी प्रकार का मेल-जोल भी दुख ही देता है। किसी भी दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्ति के साथ भोजन भी नहीं करना चाहिए।
तीसरा काम- हमें कभी भी किसी विद्वान, ब्राह्मण या गाय का अपमान नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि जो लोग इनका अपमान करते हैं या इनके साथ हिंसा करते हैं, वे हमेशा दरिद्र और दुखी रहते हैं।
चौथा काम- धर्म-कर्म के लिए संकल्प की गई दक्षिणा अवश्य दान करें। दान का संकल्प करने के बाद भी जो लोग दान नहीं करते हैं, वे सुख प्राप्त नहीं कर पाते हैं। अत: जब भी दान का संकल्प करें तो दान अवश्य करें। दान को टालें नहीं।
पांचवां काम- रविवार को मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
न करें ये चार काम भी
- हमें कभी भी किसी हिंसक जानवर के आसपास नहीं जाना चाहिए। हिंसक जानवर कभी भी भड़क सकता है और इस कारण हमारे प्राण संकट में आ सकते हैं।
- अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि पर तेल मालिश नहीं करना चाहिए।
- माता-पति, पत्नी, गुरु, बहन, भाई और संतान की निंदा कभी भी नहीं करना चाहिए।
Comments
Post a Comment