भारत में सोलर पावर को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार सौर ऊर्जा पर पहल कर रही हैं। सौर ऊर्जा के प्लेट, बैट्री, इंस्टालेशन, उपकरण, रिसर्च जैसी चीजों में अपार संभावनाएं हैं। कारोबार के लिहाज से कई लघु व्यावसाइयों ने भी कदम बढ़ा दिए हैं, क्योंकि मांग के हिसाब से दुकान से लेकर यूनिट तक स्थापित करना फायदेमंद है। ऐसे में इस कारोबार को शुरू करके कारोबार कम समय और छोटी पूंजी में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
एक लाख रुपए में प्लांट लगाकर कमाएं मुनाफा
बिजली की किल्लत और स्मार्ट बिजनेस के लिए वैकल्पिक ऊर्जा पर निर्भरता आने वाले दिनों में जबरदस्त बढ़ेगी। वहीं, देश में डब्ल्यूटीओ के मानकों पर 2022 तक 20,000 मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में सरकार के लक्ष्य के अलावा परिवार की भी जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का कारोबार बड़ी संभावनाएं और अवसर लेकर आ रहा है। इसमें करीब 1 लाख रुपए में छोटा सोलर प्लांट लगाकर मोटे मुनाफे से साथ बिजली बेच सकते हैं।
2040 तक ऊर्जा खपत का 5% प्रतिशत सौर ऊर्जा से होगा पूरा
सौर ऊर्जा को तीन घटकों से जोड़ा गया है। पहला बड़े ग्रिड, दूसरा छोटे ग्रिड, और तीसरा ऑफ ग्रिड। इनमें पहला काम छोड़कर दूसरा और तीसरा मिनिस्ट्री ऑफ न्यू रेन्युबल एनर्जी कर रही है। अभी बड़े ग्रिड पर ज्यादा काम हो रहा है। आने वाले समय में ऑफ ग्रिड पर ज्यादा काम की गुंजाइश है। दरअसल, जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन के तहत एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त करना है। जो बड़े निवेश और उपकरणों के बिना संभव नहीं है। अनुमान के अनुसार 2040 तक विश्व की कुल ऊर्जा खपत का पांच प्रतिशत भाग अकेले सौर ऊर्जा पूरा करेगी।
क्यों है सौर ऊर्जा कारोबार में फायदा
पंजाब के के एक लघु कारोबारी रामचरण के मुताबिक वे पहले एक सिलाई मशीन की कंपनी चला रहे थे। चीन से आयातित सस्ते मॉडलों के कारण कंपनी की मांग घट रही थी, जिससे घाटा हो रहा था। अब वह कंपनी के परिसर में ही सौर फोटोवोल्टिक विद्युत उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले सोलर पैनल बनाने की एक इकाई स्थापित कर रहे हैं।
चंडीगढ़ स्थित मल्टी ओवरसीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विक्रम हंस ने कहा कि सौर ऊर्जा उत्पादन में अवसर बढ़ते जा रहे हैं। लिहाजा, वह सौर ऊर्जा इन्वर्टर बना रहे हैं। इन इन्वर्टर की चार्जिंग क्षमता अधिक है। उन्होंने कहा, 'दूरसंचार क्षेत्र से भारी मांग आ रही है, क्योंकि सोलर जेनरेटर सेट पर डीजल जेनरेटर सेट की तुलना में कम खर्च आता है। सौर ऊर्जा एक विकल्प नहीं बल्कि अब एक रणनीतिक अनिवार्यता है, इसलिए इस कारोबार में विस्तार के लिए बहुत मौके हैं।
एसएमई के लिए फायदेमंद
सोलर एनर्जी सोसाइटी ऑफ इंडिया के महानिदेशक जगत जावा ने कहा कि पिछले 4-5 वर्षों में सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत घटने से यह कारोबार एसएमई के लिए फायदेमंद है। उन्होंने कहा, 'चार साल पहले केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने सौर ऊर्जा का शुल्क 17.91 रुपये प्रति यूनिट तय किया था और अब यह घटकर एक-तिहाई रह गया है। एसएमई मॉड्युल्स, सोलर सेल्स, केबल्स और छोटे इलेक्ट्रॉनिक पाट्र्स बना सकते हैं। कारोबारी असवर प्राप्त करने के लिए वे खुद को नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के पास पंजीकृत करा सकते हैं।'
केंद्र सरकार ने जनवरी, 2010 में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन शुरू किया था। इसने 2022 तक 20,000 मेगावॉट सौर ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। मिशन ने देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत घटाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें एक तरीका जरूरी कच्चे माल, कल-पुर्जों और उत्पादों का घरेलू स्तर पर उत्पादन करना है। इससे लघु और मझोले उद्योगों के लिए नए मौकों के द्वार खुलने की संभावना है।
रेगिस्तान वाले इलाकों में सौर ऊर्जा से जुड़े भरपूर मौके
भारत के रेगिस्तान में 2050 315.7 गीगावाट सोलर और पवन ऊर्जा की संभावनाएं हैं। इसमें करीब 43,74,550 रुपए निवेश की जरूरत पड़ेगी। सरकार देश के रेगिस्तानी इलाकों में इस जरूरत को पूरा करने पर विचार कर रही है। इससे सौर ऊर्जा से जुड़े कारोबारियों को बड़े मौके मिल सकते हैं।
पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) राजस्थान में थार, गुजरात में रण और कच्छ, हिमाचल प्रदेश में लाहुल और स्पिटी के अलावा जम्मू एंड कश्मीर में लद्दाख का निरीक्षण कर रही है। इसे स्टेट नोडल एजेंसीज, डाइरेक्टरेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी, नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया रेडियो के जरिए प्रचारित किया जाएगा।
इस प्रोजेक्ट में बायोगैस प्लांट, सोलर फोटोवोल्टेक सिस्टम, सोलर वाटर हीटिंग, सोलर स्ट्रीट लाइट्स शामिल हैं।
एमपी और कर्नाटक में भी सौर ऊर्जा के मौके
कर्नाटक सरकार ने सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए बिड निकाली है। इस बिड के तहत 3 मेगावाट से ऊपर के सोलर पॉवर प्रोजेक्ट इंस्टॉल किए जाने हैं। करीब 500 मेगावाट अगले बीस से पच्चीस सालों में बिड के जरिए लगाया जाना है। इसी तरह मध्य प्रदेश का रीवा अब अमेरिका को सीधी टक्कर देने जा रहा है। यहां दुनिया का सबसे बड़ा और देश का पहला अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने की तैयारी है। इसकी लागत करीब 4 हजार करोड़ रुपए आएगी। इस संयंत्र से 700 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। अनुमान है कि इससे बनने वाली बिजली की कीमत 5 रुपए 40 पैसे प्रति यूनिट होगी, जो देश में सबसे कम होगी। यह तीन वर्षों में तैयार हो जाएगा।
इन राज्यों में भी प्रस्तावित है योजना
भविष्य में राजस्थान, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में भी यह अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट स्थापित किए जाने की योजना है। मप्र ने प्रोजेक्ट शुरू करने में बाजी इसलिए मार ली है, क्योंकि राज्य सरकार ने इस प्रस्तावित सोलर पॉवर प्लांट के लिए भूमि आरक्षित कर ली है। सोलरपॉवर प्लांट के लिए भूमि आरक्षित कर ली है। केंद्र की भी सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।
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