पुलिस – हास्य कविता





आधुनिक काव्य शैली का प्रयोग करते हुए कविता को बहुत ही सरल तो बनया ही जा सकता है साथ ही इसके अर्थ को भी बहुत ही मजेदार बना दिया जाता है. काव्य की इसी शैली को अपनी पहचान बना कर कई कवियों मे अपनी रचनाओं में रंग बिखेरा है जिनमें से एक है रमेश कौशिक जी.
आज रमेश कौशिक की हास्य कविता संग्रह से एक खास कविता आप सभी के लिए हाजिर है जिसका नाम है पुलिस. इस कविता में बड़े ही सरल अंदाज में रमेश कौशिक जी ने पुलिस के बर्ताव और आम आदमी के मन में पुलिस के प्रति डर और क्रोध को दर्शाया है.
पुलिस
जब बच्चा था
अगर कभी मैं रो देता था
दादी अम्मा कहती मुझसे
पुलिस पकड़ कर ले जाएगी
वरना जल्दी से चुप हो जा.
अब जब बड़ा हुआ तो
मैं यह सोच रहा हूँ
दादी अम्मा तुम झूठी थीं
रोता देख पुलिस खुश होती
हँसता देख पकड़ ले जाती.
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