प्रकृति कभी किसी काम को करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त का इंतजार नही करती ... इस ब्रम्हांड के दो पवित्र कार्य है जन्म और मृत्यु ..इन्ही पर ही इस धरती पर जीवन चलता है .. और जन्म और मृत्यु कभी किसी मुहूर्त का इंतजार नही करता ... जीव कभी भी मर सकता है और कभी भी पैदा हो सकता है ...
फिर जब पृकृति किसी शुभमुहूर्त के इंतजार नही करती तो हम इन्सान किसी मुहूर्त का इंतजार क्यों करे ????
जब एपीजे अबुलकलाम राष्ट्रपति चुने गये थे तब पत्रकारों ने उनसे पूछा की आप किस मुहर्त में शपथ लेंगे ?
कलाम साहब ने जबाब दिया -- एक दिन में चौबीस घंटे होते है ... और ३६५ दिनों का एक साल होता है ... धरती सूर्य के चारो तरफ घुमती रहती है .. चन्द्रमा पृथ्वी के चारो तरफ घूमता रहता है ... इसी से धरती पर दिन और रात होते है .. आप मुझे कोई ऐसा पल बता दीजिये जो दुसरे पल से अलग होता हो ??
मित्रो .. किसी भी शुभ कार्य करने के लिए किसी मुहूर्त की जरूरत नही होती .. बस आपके इरादे नेक और दृढ होने चाहिए
फिर जब पृकृति किसी शुभमुहूर्त के इंतजार नही करती तो हम इन्सान किसी मुहूर्त का इंतजार क्यों करे ????
जब एपीजे अबुलकलाम राष्ट्रपति चुने गये थे तब पत्रकारों ने उनसे पूछा की आप किस मुहर्त में शपथ लेंगे ?
कलाम साहब ने जबाब दिया -- एक दिन में चौबीस घंटे होते है ... और ३६५ दिनों का एक साल होता है ... धरती सूर्य के चारो तरफ घुमती रहती है .. चन्द्रमा पृथ्वी के चारो तरफ घूमता रहता है ... इसी से धरती पर दिन और रात होते है .. आप मुझे कोई ऐसा पल बता दीजिये जो दुसरे पल से अलग होता हो ??
मित्रो .. किसी भी शुभ कार्य करने के लिए किसी मुहूर्त की जरूरत नही होती .. बस आपके इरादे नेक और दृढ होने चाहिए
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