श्रीरामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें जीवन प्रबंधन से जुड़े अनेक सूत्र छिपे हैं। इस पवित्र ग्रंथ की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की है। उन्होंने अपनी चौपाइयों में लाइफ मैनेजमेंट की अनेक ऐसी बातें बताई हैं, जो वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। श्रीरामचरितमानस के अरण्यकांड में जब शूर्पणखा लक्ष्मण द्वारा नाक, कान काटे जाने के बाद रावण के पास जाती है तब वह रावण को बताती है कि किन 6 को कभी छोटा यानी कमजोर नहीं समझना चाहिए। आज हम आपको उन्हीं 6 के बारे में बता रहे हैं-
सोरठा- रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।
अस कहि बिबिध बिलाप करि लागी रोदन करन।।
अर्थात- शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को छोटा नहीं समझना चाहिए। ऐसा कहकर शूर्पणखा अनेक प्रकार से विलाप करके रोने लगी।
शत्रु- शत्रु भले ही कितना भी छोटा क्यों न हो, लेकिन उससे हमेशा सावधान रहना चाहिए क्योंकि कई बार छोटे शत्रु भी ऐसा अनिष्ट कर देते हैं, जिसके कारण बाद में पछताना पड़ता है। यदि छोटे-छोटे शत्रु राजा एकत्रित होकर किसी चक्रवती राजा पर एक साथ हमला करे दें तो उसे भी हरा सकते हैं। इसलिए शत्रु को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए।
रोग
छोटे से छोटे रोग को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सर्दी, जुकाम या बुखार आदि रोग भले ही साधारण लगते हो, लेकिन जब यह बढ़ जाते हैं तो शरीर को खोखला कर देते हैं। कई बार ये बड़ी बीमारी का कारण भी बन जाते हैं। इन छोटे लगने वाले रोगों के कारण ही कई बार इंसान को प्राण गंवाने पड़ते हैं। इसलिए छोटे रोग में भी तुरंत उपचार करवाने में ही समझदारी है।अग्नि
छोटे से छोटे रोग को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सर्दी, जुकाम या बुखार आदि रोग भले ही साधारण लगते हो, लेकिन जब यह बढ़ जाते हैं तो शरीर को खोखला कर देते हैं। कई बार ये बड़ी बीमारी का कारण भी बन जाते हैं। इन छोटे लगने वाले रोगों के कारण ही कई बार इंसान को प्राण गंवाने पड़ते हैं। इसलिए छोटे रोग में भी तुरंत उपचार करवाने में ही समझदारी है।अग्नि
अग्नि में इतनी शक्ति है कि वह कुछ ही समय में बड़े से बड़े जंगल को भी जला सकती है। अग्नि का सबसे छोटा रूप एक चिंगारी का होता है, लेकिन जब यह विकराल रूप ले लेती है तो इस पर नियंत्रण पाना किसी के बस में नहीं होता। इसलिए अग्नि के साथ कभी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। ये कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।
पाप
धर्म ग्रंथों के अनुसार मनुष्यों को उनके द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर पाप व पुण्य की प्राप्ति होती है। कई बार मनुष्य सब कुछ जानकर भी छोटे-छोटे गलत कार्य करते हैं। इन कार्यों से प्राप्त होने वाला पाप भी कम ही होता है, लेकिन जब ये इन छोटे-छोटे पाप कर्मों का फल एकत्रित हो जाता है तो इसकी भयानक सजा मिलती है। इसलिए पाप कर्म भले ही छोटा है, लेकिन करने से बचना चाहिए।
स्वामी
मालिक को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए। क्योंकि अगर मालिक नाराज हो जाए तो वह आपका बड़ा नुकसान कर सकता है। अगर आप सेवक हैं और सोचते हैं कि मालिक को डरा-धमका या किसी भी तरीके से अपने वश में कर अपना काम निकाल लेंगे तो यह आपकी बहुत बड़ी भूल है। मालिक को जब भी मौका मिलेगा, वह आपका नुकसान करने से नहीं चुकेगा। इसलिए मालिक को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए।
मालिक को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए। क्योंकि अगर मालिक नाराज हो जाए तो वह आपका बड़ा नुकसान कर सकता है। अगर आप सेवक हैं और सोचते हैं कि मालिक को डरा-धमका या किसी भी तरीके से अपने वश में कर अपना काम निकाल लेंगे तो यह आपकी बहुत बड़ी भूल है। मालिक को जब भी मौका मिलेगा, वह आपका नुकसान करने से नहीं चुकेगा। इसलिए मालिक को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए।
सांप
सांप दिखने में भले ही कितना भी छोटा क्यों न हो, लेकिन यदि वह एक बार काट ले तो किसी की भी मृत्यु का कारण बन सकता है। कई बार देखने में आता है कि सांप पकडऩे वाले ही सांप का शिकार बन जाते हैं क्योंकि उन्हें यही लगता है कि हमेशा की तरह वे सांप को अपने वश में कर लेंगे। उनकी यही सोच कई बार उनकी जान की दुश्मन बन जाती है। इसलिए सांप को कभी छोटा (कमजोर) नहीं समझना चाहिए।
सांप दिखने में भले ही कितना भी छोटा क्यों न हो, लेकिन यदि वह एक बार काट ले तो किसी की भी मृत्यु का कारण बन सकता है। कई बार देखने में आता है कि सांप पकडऩे वाले ही सांप का शिकार बन जाते हैं क्योंकि उन्हें यही लगता है कि हमेशा की तरह वे सांप को अपने वश में कर लेंगे। उनकी यही सोच कई बार उनकी जान की दुश्मन बन जाती है। इसलिए सांप को कभी छोटा (कमजोर) नहीं समझना चाहिए।
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