रेड लिप्ड बैटफिश
लाल सुर्ख होंठ वाली रेड लिप्ड बैटफिश इक्वाडोर के गैलापागोस आइलैंड पर पाई जाती है। इस मछली को देखकर लगता है कि मानो ये अपने होंठों पर गहरे लाल रंग की लिपिस्टिक लगा रखी हो। हालांकि, इसके लाल होंठ कुदरती हैं। यह मछली अच्छे से तैरना नहीं जानती है ऐसे में इसे समुद्र तल पर चलने के लिए अपने पंख को कवच के रूप में छाती पर रखना पड़ता है।

सी पिग
सी पिग अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर में 1000 मीटर से अधिक गहराई में पाया जाता है। ये समुद्र में पाए जाने वाले कीड़ों को अपना भोजन बनाते हैं। ये एकीडोनर्म्स समूह से आते हैं, जिसमें सी अर्चिन्स और सितारा मछली भी शामिल हैं।

उबोनिया स्पीनोसा
उबोनिया स्पीनोसा एक तरह का कांटेदार कीड़ा है, जो पेड़ों पर रहता है। यह अक्सर पेड़ों की डालियों में प्रवेश करने के लिए अपनी चोंच का उपयोग करता है। ये साउथ और सेंट्रल अमेरिका, मैक्सिको और साउथ फ्लोरिडा में पाया जाता है

हमिंगबर्ड हॉक
हमिंगबर्ड हॉक को अक्सर फूलों के इर्दगिर्द मंडराते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान वह एक अजीब किस्म की ध्वनि भी निकालती है। ये कई अलग-अलग रंगों में पाई जाती है


मानटिस शेरिम्प
मानटिस शेरिम्प को सी लोटस भी कहा जाता है। पानी में पाए जाने वाले कीड़े को अपना भोजन बनाती है। एक तरह से ये डरपोक होती है इसलिए ज्यादातर अपने बिल में रहती है।

पांडा चींटी
पांडा चींटी ऐसे परिवार से हैं, जिनमें मादा चींटियों के पंख नहीं होते हैं। लेकिन इनके बाल बड़े और कांटेदार होने के कारण इनका डंक बहुत दर्दनाक होता है। यह चिली देश में पाई जाती हैं, जो दक्षिण अमेरिकी में एंडिज पर्वत और प्रशांत महासागर के बीच स्थित है।

साइगा
ये यूरेशियाई मैदान के चारों ओर फैले हुए हैं। इनकी नाक सूंड की तरह दिखती है। दिखने में इनका आकार हिरण की तरह है, जो मूल रूप से लाखों-करोड़ों की संख्या में यूरेशिया के स्तेपी क्षेत्र में पाया जाता है। लेकिन अनियंत्रित शिकार किए जाने से अब ये विलुप्त होने के कगार पर हैं।

ब्लू पारोटफिश
यह नीले रंग की मछली अटलांटिक महासागर में पाई जाती है। ये अन्य जीवों से दूर रहती है और अपना 80 फीसदी समय सिर्फ भोजन की खोज में बीताती है।

इंडियन पर्पल मेंढक
ये भारत में पाए जाते हैं। दिखने में ये सामान्य मेंढक की तरह ही होते हैं, लेकिन इनका शरीर फूला हुआ होता है। इनकी नाक नुकीली होती है। यह पृथ्वी पर साल में सिर्फ दो हफ्ते के लिए दिखाई देते हैं, बाकी समय ये भूमिगत ही रहते हैं।

शोबिल
यह दिखने में सारस की तरह होते हैं, लेकिन इनका आकार सारस से बड़ा होता है। इनकी चोंच बड़ी और नुकीली होती है। यह प्राचीन समय में मिस्र और अरब में पाए जाते थे, लेकिन अब ये कम ही देखने को मिलते हैं।

ओकापी
इन्हें मध्य अफ्रीका में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य का मूल निवासी माना जाता है। इनके शरीर पर जेब्रा की तरह धारियां होती हैं, लेकिन इनका संबंध जिराफ की प्रजाति से है। ज्यादातर ये झुंड में ही रहना पसंद करते हैं।

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