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Showing posts from June, 2015

अधिक मास में शुभ योग आज, कर सकते हैं ये उपाय

इन दिनों आषाढ़ का अधिक मास चल रहा है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। ग्रंथों के अनुसार यह महीना भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है, इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु का पूजन करने का विशेष महत्व है। आज (29 जून, सोमवार) अधिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सोम प्रदोष का शुभ योग बन रहा है।  ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। चूंकि अधिक मास तीन साल में एक बार आता है इसलिए भगवान विष्णु के प्रिय महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले व्रत का ये योग बहुत ही खास है। इस दिन यदि कुछ विशेष उपाय किए जाए तो भगवान शिव तो प्रसन्न होंगे ही, साथ ही भगवान पुरुषोत्तम की कृपा भी प्राप्त होगी। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय इस प्रकार हैं- 1.  भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है। 2.  तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है। 3.  जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है। 4.  गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है। यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में बांट देना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन...

रामायण के सुंदरकांड से जुड़ी ये बातें कम ही लोग जानते हैं

हनुमानजी की सफलता के लिए सुंदरकाण्ड को याद किया जाता है। श्रीरामचरित मानस के इस पांचवें अध्याय को लेकर लोग अक्सर चर्चा करते हैं कि इस अध्याय का नाम सुंदरकाण्ड ही क्यों रखा गया है? यहा जानिए इस प्रश्न का उत्तर... श्रीरामचरित मानस में हैं 7 काण्ड श्रीरामचरित मानस में कुल 7 काण्ड (अध्याय) हैं। सुंदरकाण्ड के अतिरिक्त सभी अध्यायों के नाम स्थान या स्थितियों के आधार पर रखे गए हैं। बाललीला का बालकाण्ड, अयोध्या की घटनाओं का अयोध्या काण्ड, जंगल के जीवन का अरण्य काण्ड, किष्किंधा राज्य के कारण किष्किंधा काण्ड, लंका के युद्ध की चर्चा का लंका काण्ड और जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर उत्तरकाण्ड में दिए गए हैं। सुंदरकाण्ड का नाम सुंदरकाण्ड क्यों रखा गया? हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी अशोक वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इ...